अब गांव-देहात के किसान सिर्फ बारिश के भरोसे नहीं रहेंगे. पहली बार भारत में एक ऐसी नई व्यवस्था आ रही है जो मौसम की मार से होने वाले नुकसान को कम करेगी. इसे कहते हैं वेदर डेरिवेटिव, और इसे शुरू करने जा रहा है NCDEX यानी नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज, भारत मौसम विभाग (IMD) के साथ मिलकर.
क्या है वेदर डेरिवेटिव?
ये एक तरह का बीमा जैसा सिस्टम है, लेकिन फसल पर नहीं, बारिश के आंकड़ों पर आधारित होगा. अगर आपके इलाके में बहुत कम या बहुत ज्यादा बारिश होती है, तो इस सिस्टम से किसानों को मुआवजा मिल सकेगा. इसके लिए IMD से पुराने और ताजा बारिश के डेटा लिए जाएंगे, ताकि सही और सटीक गणना हो सके.
गांव के किसान और मंडी व्यापारी होंगे सीधे फायदे में
गांव में अक्सर किसान सोच में पड़ जाते हैं कि फसल सूखे से बचेगी या बारिश से बर्बाद हो जाएगी. अब वेदर डेरिवेटिव से वे पहले ही समझ सकेंगे कि क्या बोना है, कब उर्वरक डालना है, या फसल ही बदल देनी चाहिए. किसान उत्पादक संगठन (FPO), मंडी के व्यापारी और कृषि से जुड़ी कंपनियां भी इसका फायदा ले सकेंगी.
कैसे करेगा ये सिस्टम काम?
IMD अपने पास मौजूद बारिश के ऐतिहासिक और ताजा आंकड़े ग्रिड फॉर्म में NCDEX को देगा. इन्हीं आंकड़ों से ऐसे डेरिवेटिव प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे जो किसी इलाके और मौसम के लिए खास होंगे. मतलब अगर आपके खेत वाले गांव में इस बार कम बारिश हुई है, तो इस सिस्टम से आप उसका मुआवजा पा सकते हैं.
सिर्फ किसान नहीं, और भी लोग होंगे लाभ में
इस स्कीम का फायदा खेती तक सीमित नहीं रहेगा. पर्यटन और ट्रांसपोर्ट जैसी इंडस्ट्री को भी इससे राहत मिलेगी क्योंकि मौसम की अनिश्चितता इन सेक्टरों को भी प्रभावित करती है.
आगे अब क्या होगा?
NCDEX और IMD मिलकर ट्रेनिंग, जानकारी और रिसर्च कार्यक्रम चलाएंगे ताकि किसान और व्यापारी इसे ठीक से समझ सकें और फायदा उठा सकें. यह भारत के किसानों को मौसम के खतरे से बचाने वाली एक नई आर्थिक ढाल की तरह साबित हो सकती है.