दिल्ली-NCR को मिलेगी प्रदूषण से राहत, हरियाणा-पंजाब ने पराली जलाने पर कसी लगाम

हर साल अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने की घटनाएं पंजाब और हरियाणा से दिल्ली की हवा में जहर घोल देती हैं. इसी को रोकने के लिए पर्यावरण गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने अहम फैसले लिए हैं.

नई दिल्ली | Published: 6 Jul, 2025 | 08:02 AM

दिल्ली-NCR में सर्दियों के दौरान बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए अब तैयारी समय रहते शुरू हो गई है. हर साल अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने की घटनाएं पंजाब और हरियाणा से दिल्ली की हवा में जहर घोल देती हैं. इसी को रोकने के लिए पर्यावरण गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने चंडीगढ़ में दो अहम उच्चस्तरीय बैठकों का आयोजन किया, जिसमें पंजाब और हरियाणा के शीर्ष अधिकारियों, मुख्य सचिवों और आयोग के अध्यक्ष ने हिस्सा लिया.

अबकी बार पराली नहीं, समाधान होगा

इन बैठकों का मुख्य उद्देश्य पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए दोनों राज्यों के विभागों के बीच तालमेल को मजबूत करना और अब तक उठाए गए कदमों की समीक्षा करना था. हरियाणा के मामले में विशेष रूप से यह देखा गया कि इस साल धान की पराली को जलाने की बजाय उसका वैकल्पिक इस्तेमाल कैसे बढ़ाया जाए. इसमें बायोमास पैलेट को ईंधन के रूप में ईंट भट्टों और थर्मल पावर प्लांट्स में उपयोग करने की योजना पर खास जोर दिया गया.

रोड डस्ट और गाड़ियों से उठेगा धुआं

केवल पराली ही नहीं, सड़कों की धूल और वाहनों से निकलने वाले धुएं को भी कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है. बैठक में पुराने वाहनों को धीरे-धीरे हटाने, सभी बसों और कॉमर्शियल गाड़ियों को साफ ईंधन (CNG, इलेक्ट्रिक) में बदलने, ANPR कैमरे लगाने और डिलीवरी सेवाओं को क्लीनर मोबिलिटी की ओर बढ़ाने जैसे कई फैसलों पर चर्चा हुई.

पंजाब में भी एक जैसी तैयारी

पंजाब की समीक्षा बैठक में भी धान की पराली जलाने को रोकने के लिए बायोमास पैलेट को अनिवार्य रूप से भट्टों में इस्तेमाल करने की योजना पर बल दिया गया. साथ ही थर्मल पावर प्लांट्स और वाहन प्रदूषण नियंत्रण के नियमों का पालन सख्ती से सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए.

फील्ड विजिट में मिला टेक्नोलॉजी का समर्थन

CAQM की टीम ने पंजाब और हरियाणा में कई तकनीकी संयंत्रों का दौरा किया, जिसमें बायो-गैस यूनिट, 2G एथेनॉल प्लांट, पैलेट बनाने वाले कारखाने और बॉयलर शामिल थे. इन दौरे से यह आकलन किया गया कि दोनों राज्यों में तकनीकी उपाय कितने प्रभावी हैं और उनका संचालन कैसा है.

मिलकर चलेंगे, तभी साफ होगी हवा

आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर प्रदूषण को वाकई कम करना है, तो केवल योजना बनाना काफी नहीं है, उसका सही और समय पर पालन भी जरूरी है. खासकर सर्दियों के आने से पहले जब हवा ठहरने लगती है और प्रदूषण ज्यादा असर डालता है, उस वक्त ऐसे उपाय बेहद कारगर साबित हो सकते हैं.

उम्मीद की नई किरण

CAQM ने हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए यह भी कहा कि इस बार अगर सभी विभाग एक साथ मिलकर काम करें और तय दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन हो, तो आने वाली सर्दियों में दिल्ली-NCR की हवा पहले से कहीं बेहतर हो सकती है.