काले-सफेद दाग से लेकर फिनराट तक, जानिए मछलियों की आम बीमारियां और उनका आसान घरेलू इलाज

मछली पालन में सबसे बड़ा खतरा बीमारियां होती हैं, जो पूरे तालाब को नुकसान पहुंचा सकती हैं. काले-सफेद दाग, फिनराट, फफूंद और आंखों की बीमारी जैसी समस्याएं जल्दी फैलती हैं. सही पहचान, समय पर दवा, साफ पानी और तालाब की नियमित सफाई से किसान अपनी मछलियों को सुरक्षित रखकर नुकसान से बच सकते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 3 Dec, 2025 | 06:00 AM

Fish Disease : मछली पालन आज के समय में किसानों के लिए कमाई का मजबूत जरिया बन चुका है. लेकिन यह कमाई तभी तक सुरक्षित है, जब तक मछलियां स्वस्थ रहें. जैसे ही तालाब में बीमारियां फैलती हैं, पूरा स्टॉक खतरे में आ जाता है और नुकसान कई गुना बढ़ जाता है. कई बार छोटे-छोटे लक्षणों को किसान गंभीरता से नहीं लेते, जिसका नतीजा बड़ी हानि के रूप में सामने आता है. इसलिए जरूरी है कि मछलियों में होने वाली आम बीमारियों को समझा जाए और समय पर उनका सही इलाज किया जाए. इसी को ध्यान में रखकर हम आपको सरल भाषा में बता रहे हैं कि कौन सी बीमारी कैसे पहचानी जाए और उसका समाधान क्या है, ताकि आपका तालाब हमेशा स्वस्थ और मुनाफादायक बना रहे.

काले चकत्तों की बीमारी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अक्सर किसान देखते हैं कि मछलियों के शरीर पर काले-काले धब्बे उभर आते हैं. यह किसी संक्रमण या पानी  की गुणवत्ता खराब होने का संकेत हो सकता है. यदि इसे अनदेखा किया जाए तो मछलियों की बढ़त रुक जाती है और मौत भी हो सकती है. इस बीमारी के इलाज के लिए मछलियों को पिकरिक एसिड के घोल वाले पानी में करीब एक घंटे तक नहलाना होता है. यह घोल मछली की त्वचा पर बने काले चकत्तों को साफ कर देता है और संक्रमण को खत्म करता है. साथ ही तालाब की नियमित सफाई और साफ पानी की उपलब्धता भी बेहद जरूरी है.

सफेद चकत्तों की बीमारी

अगर मछलियों के शरीर पर सफेद-सफेद धब्बे बन रहे हों, तो समझ लीजिए कि यह सफेद चकत्तों की बीमारी का संकेत  है. यह बीमारी तेजी से फैलती है और तालाब की कई मछलियों को प्रभावित कर सकती है. इसका सरल उपचार कुनीन की दवाई से किया जाता है. उचित मात्रा में दवा को पानी में मिलाकर मछलियों को नहलाने या तालाब में घोलने से बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है. जिस तालाब में यह बीमारी देखी जाए, वहाँ पानी की क्वालिटी और ऑक्सीजन लेवल का ध्यान रखना जरूरी है.

फिनराट और फफूंद

फिनराट बीमारी में मछलियों  के पंख धीरे-धीरे गल जाते हैं. इससे मछलियां तैर नहीं पातीं और कमजोर हो जाती हैं. इलाज के लिए मछलियों को नीला थोथे के घोल में 2–3 मिनट तक नहलाया जाता है. यह घोल बैक्टीरिया को तुरंत खत्म करता है और पंखों को दोबारा बढ़ने में मदद करता है. चोट लगने पर मछलियों के शरीर पर सफेद फफूंद भी उभर आती है, जो समय पर उपचार न मिले तो जानलेवा भी हो सकती है. इसके लिए नीला थोथा और पोटेशियम परमैंगनेट का घोल इस्तेमाल किया जाता है. मछलियों को 10–15 मिनट इस घोल में रखने से फफूंद खत्म हो जाती है और त्वचा तेजी से ठीक होती है.

आंखों की बीमारी

मछलियों की आंखों में समस्या सबसे गंभीर  मानी जाती है, क्योंकि इससे उनकी दृष्टि खत्म हो सकती है और मछली खाना भी बंद कर देती है. इस बीमारी के लिए 2 फीसदी सिल्वर नाइट्रेट का घोल इस्तेमाल किया जाता है. मछलियों को घोल से धोकर साफ पानी में छोड़ दिया जाता है, जिससे आंखों का संक्रमण खत्म हो जाता है और वे जल्दी ठीक हो जाती हैं.

तालाब की सफाई ही असली सुरक्षा कवच

इन सभी बीमारियों का असली कारण अक्सर तालाब की गंदगी , खराब पानी, और चूने का सही उपयोग न करना है. अगर किसान नियमित तालाब की सफाई करें, पानी बदलें, सही मात्रा में चूना डालें और समय-समय पर पानी की जांच करवाएं- तो 90 पीसदी बीमारियां शुरू होने से पहले ही रुक जाती हैं. साफ तालाब, बेहतर ऑक्सीजन और सही पीएच वैल्यू मछलियों को प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करते हैं.

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Published: 3 Dec, 2025 | 06:00 AM

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