धान में कल्ले नहीं निकल रहे? अपनाएं ये 5 वैज्ञानिक तरीके, मिलेगा बंपर उत्पादन!

धान की खेती में कमजोर टिलरिंग यानी कल्ले कम निकलने की समस्या आम है, जिससे उपज घट जाती है. समय पर सिंचाई करने और सही मात्रा में नाइट्रोजन देने से टिलरिंग बेहतर होती है और फसल की उपज बढ़ाई जा सकती है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 26 Jul, 2025 | 06:00 AM

खरीफ सीजन में देश के करोड़ों किसान धान की खेती करते हैं, लेकिन जब बात पैदावार की आती है तो धान के कल्लों की संख्या सबसे बड़ी भूमिका निभाती है. यही कल्ले आगे चलकर बालियों में बदलते हैं और उत्पादन तय करते हैं. कई बार किसान रोपाई तो अच्छे से कर लेते हैं, लेकिन कल्ले निकलने के वक्त परेशान हो जाते हैं. फसल कमजोर दिखती है या फिर कल्ले कम बनते हैं. ऐसे में वैज्ञानिक सलाह और कुछ जरूरी उपाय अपनाकर किसान बंपर पैदावार हासिल कर सकते हैं.

1. खेत में पानी का जमाव रोकना है बेहद जरूरी

धान की फसल  पानी में उगती है, लेकिन अगर खेत में ज्यादा पानी भर जाए तो यह नुकसानदेह भी हो सकता है. खासतौर पर रोपाई के 25 दिन बाद खेत से अतिरिक्त पानी निकाल देना चाहिए. यह इसीलिए जरूरी है ताकि मिट्टी फटने से बचे और जड़ों तक ऑक्सीजन और सूर्य की रोशनी पहुंच सके. इसके अलावा जल निकासी की व्यवस्था करने के बाद हल्की सिंचाई जारी रखें, ताकि मिट्टी नम बनी रहे और फसल की जड़ें मजबूत हो सकें.

2. पौधों को समय पर पोषण देना है सबसे अहम

मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, धान के पौधे जब 25 से 50 दिन के बीच होते हैं, तब उनमें तेजी से कल्ले निकलने शुरू होते हैं. यही सबसे अहम समय होता है जब उन्हें अतिरिक्त पोषण की जरूरत होती है. इस समय प्रति एकड़ खेत में 20 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो जिंक का छिड़काव करना फायदेमंद रहता है. इसके साथ ही अजोला (Azolla) जैसी जैविक खाद  का प्रयोग करके पोषण को और बेहतर बनाया जा सकता है.

3. निराई-गुड़ाई से बढ़ेगी जड़ों की ताकत

अक्सर किसान निराई-गुड़ाई को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह फसल की जड़ों और बढ़वार के लिए बेहद जरूरी है. इससे न केवल मिट्टी में ऑक्सीजन का संचार होता है बल्कि खरपतवार और कीड़ों के प्रकोप का भी पता चल जाता है. इतना ही नहीं बांस से फसल पर उल्टी-सीधी दिशा में पाटा लगाने से जड़ों में खिंचाव होता है और कल्ले निकलने की प्रक्रिया तेज हो जाती है.

4. खरपतवार नहीं गया तो फसल होगी कमजोर

धान के खेतों में कई बार अनावश्यक पौधे यानी खरपतवार उग आते हैं, जो असली फसल से पोषक तत्व छीन लेते हैं. इससे कल्ले कम निकलते हैं और उत्पादन घट जाता है. ऐसे में खरपतवार को खत्म करने के लिए 2-4D नाम की दवा का छिड़काव किया जा सकता है. इसके अलावा पेंडीमेथलीन 30 ईसी दवा का भी इस्तेमाल करें. इसे 3.5 लीटर मात्रा में 850–900 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर खेत में छिड़का जा सकता है.

5. जैविक खाद से मिलती है फसल को नई ताकत

जैविक खाद का प्रयोग न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर होता है, बल्कि फसल की क्वालिटी और पैदावार दोनों में सुधार करता है. धान की फसल के लिए ‘धान एंजाइम गोल्ड’ नामक उत्पाद बेहद फायदेमंद साबित हो रहा है. इसे समुद्री घास से तैयार किया गया है और यह अजोला की तरह काम करता है. इतना ही नहीं यह कीड़ों और बीमारियों से बचाव करता है और कल्ले निकलने की प्रक्रिया को तेज करता है. इसके लिए एक मिली एंजाइम गोल्ड को एक लीटर पानी में मिलाकर, 500 लीटर घोल प्रति हेक्टेयर खेत में छिड़कें.

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Published: 26 Jul, 2025 | 06:00 AM

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