राजमा की अच्छी फसल चाहिए? जानिए बुवाई का सही समय और तरीका

हर बार एक ही जगह पर राजमा की खेती करने से मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो सकती है और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि आप फसल चक्र अपनाएं.

नई दिल्ली | Published: 11 May, 2025 | 10:48 AM

राजमा भारतीय रसोई की एक खास और स्वादिष्ट दाल है, जो अपने पौष्टिक गुणों और स्वाद के कारण बेहद लोकप्रिय है. चाहे आप एक शौकिया माली हों या बड़े स्तर पर खेती करने वाले किसान, अगर आप चाहते हैं कि आपकी राजमा की फसल अच्छी हो, तो उसका सही समय पर बोना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं कि राजमा की बुवाई कब और कैसे करनी चाहिए, ताकि आपको मिले सेहतमंद और भरपूर फसल.

मौसम और जलवायु का ध्यान रखें

राजमा को हल्की गर्म और मध्यम जलवायु सबसे ज्यादा पसंद है. यह ठंडी हवा और पाले को सहन नहीं कर पाता, इसलिए सर्दियों में इसकी बुवाई करना नुकसानदायक हो सकता है. अगर आप चाहते हैं कि बीज अच्छे से अंकुरित हों और पौधा जल्दी बढ़े, तो बुवाई का समय आपके इलाके की जलवायु के हिसाब से चुनना जरूरी है.

बसंत के मौसम में बुवाई सबसे बेहतर

अधिकतर क्षेत्रों में राजमा की बुवाई के लिए शुरुआती बसंत का समय सबसे अच्छा माना जाता है. इस समय ठंडी धीरे-धीरे कम होती है और तापमान अनुकूल होता है. ऐसे मौसम में बीज अच्छी तरह अंकुरित होते हैं और पौधा मजबूत जड़ें बना पाता है. यह मौसम राजमा को तेज सर्दी से बचाता है और बढ़ने के लिए सही वातावरण देता है.

मिट्टी का तापमान और नमी का रखें ध्यान

राजमा की बुवाई से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि मिट्टी का तापमान लगभग 15 से 20 डिग्री सेल्सियस हो. अगर मिट्टी बहुत ठंडी है तो बीज जमने में दिक्कत होगी, और बहुत गर्म होने पर जड़ें ठीक से नहीं बनेंगी. इसके साथ ही, मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए, अगर मिट्टी सूखी है तो बीज अंकुरित नहीं हो पाएंगे.

बीज की गहराई और दूरी का रखिए ख्याल

राजमा के बीजों को लगभग 2 से 4 सेंटीमीटर की गहराई पर बोया जाना चाहिए. मिट्टी नरम और पानी निकास वाली होनी चाहिए. बीजों के बीच लगभग 20 से 25 सेंटीमीटर और कतारों के बीच 45 से 60 सेंटीमीटर की दूरी रखना जरूरी है ताकि पौधों को पर्याप्त धूप, हवा और पोषण मिल सके.

सीधी बुवाई या पौधे तैयार करके रोपाई- क्या है बेहतर?

राजमा के बीज सीधे खेत में बोना ही सबसे अच्छा तरीका माना जाता है, लेकिन अगर आप किसी ऐसे इलाके में रहते हैं जहां गर्मी का मौसम छोटा होता है, तो आप बीजों को घर के अंदर 2 से 4 हफ्ते पहले बो सकते हैं. जब मौसम अनुकूल हो जाए, तब उन पौधों को खेत में रोप दिया जा सकता है. इससे फसल जल्दी तैयार होगी.

फसल चक्र अपनाएं

हर बार एक ही जगह पर राजमा की खेती करने से मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो सकती है और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि आप फसल चक्र अपनाएं, यानी एक साल राजमा, अगले साल कोई दूसरी फसल जैसे टमाटर, मक्का या हरी सब्जियां बोएं. इससे मिट्टी भी स्वस्थ रहती है और फसल भी बेहतर होती है.

पानी और देखभाल में बरतें संतुलन

राजमा को न तो ज्यादा पानी पसंद है और न ही सूखापन. कोशिश करें कि हर हफ्ते मिट्टी में लगभग 2 से 3 सेंटीमीटर पानी बना रहे. बारिश के अनुसार पानी की मात्रा को कम या ज्यादा किया जा सकता है. पौधों के चारों तरफ घास या पत्तियां बिछा देने से नमी बनी रहती है और खरपतवार भी कम उगते हैं. साथ ही, समय-समय पर पौधों की जांच करें कि कहीं कीट या बीमारी तो नहीं लग रही.