Paddy cultivation: महाराष्ट्र के पुणे जिले में लगातार बारिश के कारण धान की खेती पर असर पड़ा है. इस साल अब तक केवल 5,000 एकड़ में ही धान की बुवाई हो पाई है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 10,000 एकड़ से ज्यादा था. ऐसे जिले में धान की औसतन रकबा 60,000 हेक्टेयर क्षेत्र है. अधिकारियों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में धान रोपाई में तेजी आएगी.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के भोर, वेल्हे, मावल, मुलशी, अंबेगांव और जुन्नर तहसीलें प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्र हैं. इन तहसीलों में किसान मुख्य रूप से इंद्रायणी और अंबेमोहोर किस्म के साथ-साथ पारंपरिक धान की किस्में भी उगाते हैं. जिला कृषि अधिकारी संजय काचोले ने कहा कि मई से लगातार हो रही बारिश की वजह से किसान धान की नर्सरी ठीक से नहीं तैयार कर पाए. उन्हें बारिश से दो हफ्ते का विराम चाहिए था, जो नहीं मिला. इससे रोपाई की प्रक्रिया पर असर पड़ा है. हालांकि पिछले 10 दिनों में कुछ इलाकों में गतिविधियां बढ़ी हैं और अगले कुछ हफ्तों में धान की रोपाई बढ़ने की उम्मीद है.
किसान नहीं तैयार कर पाए धान की नर्सरी
कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले पांच सालों में इंद्रायणी किस्म पुणे और आसपास के जिलों में काफी लोकप्रिय हुई है. इसकी बाजार में अच्छी मांग है, इसलिए किसानों को इससे अच्छी आमदनी हो रही है. आम तौर पर किसान पहले धान की नर्सरी तैयार करते हैं और फिर खेतों में रोपाई करते हैं. लेकिन इस साल भारी बारिश के कारण कई किसान न तो नर्सरी तैयार कर पाए और न ही खेतों की तैयारी कर सके.
300 मिमी से ज्यादा बारिश हुई
अंबेगांव तहसील के आदिवासी किसान अशोक शेंगले ने कहा कि इस बार बारिश की वजह से रोपाई कुछ हफ्तों देरी से शुरू हो पाई. इन इलाकों में पिछले कुछ हफ्तों से भारी से बहुत भारी बारिश हो रही है. मुलशी तहसील के किसान आकाश डुंबरे ने कहा कि मावल और मुलशी में कई दिनों तक बहुत भारी बारिश हुई. तम्हिणी घाट के गांवों में तो एक दिन में 300 मिमी से ज्यादा बारिश हुई. ऐसे में किसान खेतों में काम कैसे कर सकते हैं.
धान रोपाई में आएगी तेजी
कृषि अधिकारी संजय काचोले ने कहा कि अगर बारिश दो हफ्तों के लिए रुक जाए तो रोपाई की रफ्तार फिर से बढ़ सकती है. अच्छी बात यह है कि इन क्षेत्रों की मिट्टी भारी बारिश में भी खराब नहीं हुई, इसलिए थोड़े ब्रेक से ही रोपाई शुरू हो सकती है. उन्होंने कहा कि हमें भरोसा है कि इस साल हम धान की औसत रोपाई का लक्ष्य हासिल कर लेंगे. साथ ही, हमारे अधिकारी किसानों को कटाई के समय बारिश के पूर्वानुमान की जानकारी भी देंगे, जिससे उन्हें योजना बनाने में मदद मिलेगी.