लखनऊ से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने प्रशासन से लेकर आम लोगों तक को चौंका दिया है. बात हो रही है उत्तर प्रदेश आम महोत्सव 2025 की, जिसका उद्घाटन खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 4 जुलाई को लखनऊ के अवध शिल्पग्राम में किया था. तीन दिन चले इस भव्य आयोजन का समापन जैसे ही हुआ, मेला लूट के मैदान में बदल गया.
आम की 800 से ज्यादा किस्मों की शानदार प्रदर्शनी देखने आए हजारों लोग अंतिम दिन नियंत्रण से बाहर हो गए. जैसे ही समापन की घोषणा हुई, वहां मौजूद भीड़ डिस्प्ले टेबल पर सजे आमों पर टूट पड़ी. किसी ने कैरी उठाई, किसी ने दशहरी दबोची तो किसी ने अल्फांसो झपट लिया. कुछ ही सेकेंड में टेबलें खाली हो गईं और वहां बचे सिर्फ आमों के छिलके.
महिलाएं, बच्चे, बुज़ुर्ग… लूट में कोई नहीं रहा पीछे
जिसे जहां मौका मिला, वहीं से दौड़ लगा दी. महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग भी पीछे नहीं रहे. कोई थैला लेकर आया था, कोई दुपट्टे में आम बांध रहा था. अफरातफरी में हर कोई कुछ न कुछ समेटने में लगा था. आयोजनकर्ता बस देखते रह गए, न पुलिस दिखी, न कोई सुरक्षा वाला. जिस महोत्सव का उद्घाटन खुद मुख्यमंत्री ने किया था, उसका ऐसा अव्यवस्थित और अफसोसजनक अंत होगा, ये किसी ने नहीं सोचा था.
मेला बना महालूट का मैदान
लेकिन इस सकारात्मक शुरुआत का जो अंत हुआ, उसने पूरी छवि पर पानी फेर दिया. सोशल मीडिया पर इस ‘आमों की लूट’ का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब आयोजकों को पता था कि अंतिम दिन भीड़ ज्यादा होगी तो सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किए गए? क्या ऐसे आयोजनों का समापन हमेशा अव्यवस्था में ही होगा?

आम महोत्सव में लोगों द्वारा की गई लूट
देश और विदेश तक पहुंचा यूपी का आम
उत्तर प्रदेश आम महोत्सव में राज्य के बागवानों ने अपनी खास किस्मों के आम प्रदर्शित किए, इस बार पहली बार यूपी के आम दो देशों को एयर कार्गो से निर्यात किए गए. इतना ही नहीं सरकार की सब्सिडी योजना से किसानों को विदेश में खरीदार मिले और अच्छी कीमत भी मिली. महोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद स्टॉलों पर जाकर किसानों से बातचीत की और उन्हें वैश्विक बाजार में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि यूपी देश में आम उत्पादन में अव्वल है और अब यहां के आमों को दुनिया में पहचान दिलानी है.
आयोजन की गरिमा पर सवाल
महोत्सव का उद्देश्य था बागवानी को बढ़ावा देना, आम की किस्मों को पहचान दिलाना और किसानों को बाजार उपलब्ध कराना. लेकिन अंतिम दिन जो हुआ, उससे आयोजन की गरिमा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं. एक तरफ मुख्यमंत्री वैश्विक निर्यात की बात कर रहे थे और दूसरी तरफ मेले में लोग थैले लेकर आम लूटते दिखे.