52 हाथियों का खेल! कई गांवों में दहशत का माहौल..धान की फसल को बना रहे निवाला

छत्तीसगढ़ के कटघोरा वन मंडल में 52 हाथियों का झुंड गांवों में घुस आया, जिससे धान की फसल को भारी नुकसान हुआ. लालपुर, पारला, नरोई ढोरी और रावणभाठा गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. भोजन की तलाश में हाथी जंगल छोड़ खेतों में चले आए.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 1 Sep, 2025 | 05:01 PM

खरीफ फसलों की बर्बादी केवल बारिश, बाढ़ और भू्स्खलन से ही नहीं हो रही है, बल्कि जंगली जानवर भी किसानों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं. खासकर छत्तीसगढ़ में जंगली हाथी फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं. हाथियों के आतंक का आलम यह है किसान डर के मारे घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. बिलासपुर जिले के कटघोरा वन मंडल के गांवों में हाथियों का एक झुंड घुस आया, जिससे खेतों में खड़ी धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है. 52 हाथियों का ये झुंड लालपुर, पारला, नरोई ढोरी और रावणभाठा गांवों में देखा गया है, जिससे ग्रामीणों में दहशत फैल गई है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ लोग हाथियों के बीमार होने की बात कर रहे हैं. लेकिन हाथियों के बीमार होने की अफवाहों को वन विभाग ने खारिज कर दिया है. डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) कुमार निशांत ने कहा कि सभी हाथी स्वस्थ हैं, लेकिन भोजन की तलाश में खेतों की ओर आ गए. उन्होंने कहा कि एक हाथी को रोज 150 से 200 किलो खाना चाहिए. जंगल में इसे जुटाने में मेहनत लगती है, जबकि खेतों में आसानी से भरपूर खाना मिल जाता है. इसलिए धान के मौसम में हाथी गांवों की ओर आ जाते हैं.

हाथियों ने धान की फसल को किया बर्बाद

DFO के मुताबिक, झुंड में 52 हाथी हैं जो खाना खाते वक्त 4 से 5 गांवों में बिखर जाते हैं और बाद में एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि आत्मानगर और केंदई रेंज के गांवों सबसे ज्यादा हाथियों का आतंक है. इन दोनों गावों में हाथियों ने धान की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया है. खास बात यह है कि रविवार सुबह वन विभाग ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें झुंड को बुडुपानी गांव और कोड़वारी रोड होते हुए रावणभाठा की तरफ जाते देखा गया. वीडियो में हाथी पारला स्कूल के पास धान की फसल खाते हुए दिखाई दिए.

ग्रामीणों की मदद से हाथियों पर निगरानी

वन विभाग की टीमें ग्रामीणों की मदद से हाथियों पर लगातार नजर रख रही हैं. लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट कर किसानों से कहा गया है कि जब तक हाथियों को जंगल वापस नहीं भेजा जाता, तब तक वे अपने खेतों से दूर रहें. DFO कुमार निशांत ने कहा कि धान के मौसम में ऐसा होना छत्तीसगढ़ और देश के अन्य हिस्सों में आम बात है. जैसे बाकी जानवर आसान खाना ढूंढते हैं, वैसे ही हाथी भी खेतों की ओर चले आते हैं.

सतर्क रहने की सलाह दी गई है

उन्होंने कहा कि गांव वालों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है और अच्छी बात ये है कि अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. निशांत ने यह भी कहा कि महिला वनकर्मी इस स्थिति को संभालने में अहम भूमिका निभा रही हैं. वे हाथियों की मूवमेंट पर नजर रखती हैं, गांव वालों को जागरूक करती हैं और संघर्ष की स्थिति में समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं.

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Published: 1 Sep, 2025 | 04:56 PM

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