किसानों की पसंद बन रही मखाना की खेती, बीते साल से 3 गुना बढ़ा रकबा

मखाना बोर्ड गठन की घोषणा के बाद से किसानों में ज्यादा उत्साह देखा जा रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार मखाना की खेती का रकबा बीते साल की तुलना में 3 गुना बढ़ गया है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 25 Apr, 2025 | 05:20 PM

बिहार में किसानों को मखाना की खेती खूब पसंद आ रही है. मखाना बोर्ड गठन की घोषणा के बाद से किसानों में ज्यादा उत्साह देखा जा रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार मखाना की खेती का रकबा बीते साल की तुलना में 3 गुना बढ़ गया है. किसानों का कहना है कि अन्य फसलों की तुलना में उन्हें मखाना की खेती से अच्छा मुनाफा हासिल हो रहा है. बता दें कि अब राज्य के सामान्य किसान भी अन्य फसलों के साथ मखाना की खेती कर रहे हैं. ऐसा होने से राज्य के किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आ रहा है.

सबसे ज्यादा कहां हो रही मखाना खेती

बिहार के मिथिला के मखाने की मांग पूरी दुनिया में है. मखाने की बढ़ती मांग के साथ मिथिला में मखाने की खेती भी बढ़ती जा रही है. यहां के सामान्य किसान भी अब मखाने की खेती की ओर अपना रुख कर रहे हैं. वे अब धान-गेहूं और दलहन-तिलहन फसलों की कटाई के बाद मखाने की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. रबी सीजन की फसलों की कटाई के बाद खाली पड़े खेतों पर अब किसान मखाने की खेती करने लगे हैं. ऐसा करने से उन्हें तिहरा लाभ मिल रहा है. यानी रबी और खरीफ फसलों के बाद मखाना उनके लिए तीसरी फसल बन गई है.

हर कोई करना चाह रहा मखाना की खेती

एक समय था जब बिहार में मखाने की खेती पर केवल मल्लाह जाति का एकाधिकार होता था. यहां तक कि कुछ साल पहले तक मखाना की खेती मल्लाहों का पुश्तैनी पेशा समझा जाता था. लेकिन अब वर्तमान में सरकार की ओर से सुविधाएं बढ़ाने और देश-विदेश में मखाने की बढ़ती मांग के चलते राज्य के अन्य किसान भी इसकी खेती के लिए उत्साहित हुए हैं. सामान्य किसानों का मखाने की खेती की तरफ रुख करना किसानों की आर्थिक स्थित सुधारने में वरदान की तरह साबित हो सकता है.

पारंपरिक तरीका बना चुनौती

बता दें कि बिहार में मखाने की खेती को बढ़ावा देने और उसे हाइटेक बनाने के लिए दरभंगा में मखाना अनुसंधान केंद्र की स्थापना बहुत पहले ही की गई थी. बिहार सरकार के द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर की गई जानकारी के अनुसार पिछले साल केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद मखाने की रोपनी कर किसानों का मनोबल बढ़ाया था. तकनीकों के बाद भी राज्य के किसान मखाने की खेती पारंपरिक तरीके से करने को मजबूर हैं. उन्हें आज भी अपनी उपज बेचने के लिए महाजन या बिचौलियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है.

सरकारी दखल का दिखने लगा असर

केंद्रीय बजट में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा और सरकार की तरफ से मखाने की खेती को प्रोत्साहन मिलने के बाद बिहार में मखाने की खेती में बढ़ोतरी देखने को मिली है. जानकारी के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल करीब तिगुने रकबे में मखाने की खेती की गई है. इसके साथ ही छोटे और सामान्य किसानों में भी मखाने की खेती को लेकर दिलचस्पी देखने को मिली है.

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Published: 25 Apr, 2025 | 11:22 AM

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