मुर्गियों की आंख, चाल और खाने का अंदाज… बता देते हैं बीमारी, नुकसान से बचाव का तरीका जान लें

बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने मुर्गी पालकों के लिए नई सलाह जारी की है. विभाग का कहना है कि स्वस्थ मुर्गियों की पहचान जल्दी होने से बीमारी फैलने का खतरा कम हो जाता है. मुर्गियों की चाल, दाना खाने का तरीका और आंखों की चमक देखकर किसान नुकसान से बच सकते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 30 Nov, 2025 | 10:56 AM

Bihar Animal Husbandry : यह खबर मुर्गी पालकों के लिए बेहद काम की है, क्योंकि बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने स्वस्थ मुर्गियों की पहचान को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है. विभाग का कहना है कि बीमारी फैलने से पहले मुर्गियों के छोटे-छोटे संकेत पहचान लेना सबसे जरूरी कदम है. मुर्गियों की आंखों की चमक, उनकी चाल, दाना खाने का तरीका और पूरे दिन की गतिविधि ही बताती है कि वे स्वस्थ हैं या नहीं. सही पहचान से किसान नुकसान से बच सकते हैं

दिनभर सक्रिय रहना-स्वस्थ मुर्गी की पहली निशानी

बिहार पशुपालन विभाग के अनुसार, एक स्वस्थ मुर्गी  पूरे दिन दाना चुगती रहती है, इधर-उधर चलती है और जमीन को लगातार कुरेदती है. उसकी चाल में जोश रहता है और वह झुंड के साथ घूमती है. यदि कोई मुर्गी कोने में बैठी रहे, कम चले या बार-बार आंख बंद करे, तो यह कमजोरी या बीमारी का संकेत हो सकता है. सुस्ती आने का मतलब है कि शरीर में या तो संक्रमण शुरू  हो रहा है या भोजन सही तरीके से नहीं पच रहा. ऐसे में किसान को तुरंत उस मुर्गी को अलग जगह रखना चाहिए, ताकि बीमारी दूसरों तक न फैले.

चमकीली और साफ आंखें

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग का कहना है कि स्वस्थ मुर्गियों की आंखें साफ, चमकीली और पूरी तरह खुली रहती हैं. आंखों से पानी आना, लालिमा दिखना, सूजन होना या आंखों में धुंधलापन बीमारी की ओर इशारा  करता है. कई बार आंखों से पानी आना या चिपचिपापन श्वसन संक्रमण का शुरुआती लक्षण होता है. अगर मुर्गी की आंखों में दबाव या सूजन दिखे, तो यह गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है. इसलिए किसान को रोजाना कम से कम एक बार मुर्गियों की आंखों की जांच जरूर करनी चाहिए.

poultry farming

बिहार पशुपालन विभाग

दाना खाना, आवाज और पंख-सब बताते हैं स्वास्थ्य की स्थिति

विभाग के अनुसार, स्वस्थ मुर्गी ठीक मात्रा में दाना खाती है और पानी नियमित पीती है. उसकी आवाज सामान्य रहती है और खांसी या घरघराहट जैसा कोई लक्षण नहीं दिखता. पंख फूला हुआ रहना, बार-बार पंख झाड़ना, गर्दन नीचे करना या बार-बार बैठ जाना बीमारी के शुरुआती संकेत हो सकते हैं. स्वस्थ मुर्गियों के पंख चमकदार और शरीर से सटे रहते हैं, जबकि बीमार मुर्गी  के पंख अक्सर बिखरे हुए और रुखे दिखते हैं.

किसानों के लिए विभाग की खास सलाह

पशुपालन निदेशालय  ने किसानों को साफ-सफाई पर जोर देने की सलाह दी है. मुर्गियों के बाड़े में नमी नहीं होनी चाहिए और दाना-पानी रोजाना साफ-सुथरा रखना चाहिए. साथ ही, नए पक्षियों को पुराने झुंड में मिलाने से पहले कुछ दिनों तक अलग रखकर उनकी जांच करना जरूरी है. यदि किसी मुर्गी में बीमारी का लक्षण दिखे तो तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सक या विभागीय केंद्र से संपर्क करना चाहिए. जल्दी पहचान और सही इलाज से पूरी पोल्ट्री की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है.

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