Tips for Poultry Farmers: सितंबर का महीना शुरू हो गया है और यह मौसम मुर्गियों के लिए थोड़ा संवेदनशील होता है. तापमान और नमी में बदलाव के कारण बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में मुर्गीपालकों के लिए जरूरी है कि वे फार्म पर साफ-सफाई और सुरक्षा से जुड़ी बातों का विशेष ध्यान रखें. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, बायो-सिक्योरिटी (Bio-Security) के नियमों को सख्ती से अपनाना चाहिए ताकि मुर्गियां स्वस्थ रहें और अंडा या मांस उत्पादन में किसी तरह की रुकावट न आए.
फार्म में बाहरी लोगों का प्रवेश करें सीमित
मुर्गियों को बीमारियों से बचाने के लिए सबसे जरूरी कदम है फार्म में बाहरी लोगों का प्रवेश रोकना. जो लोग फार्म से सीधे जुड़े नहीं हैं, उन्हें अंदर आने की अनुमति न दें. फार्म के बाहर अनधिकृत व्यक्ति प्रवेश न करें का बोर्ड जरूर लगाएं. अगर किसी को जरूरी कारण से अंदर आना भी पड़े, तो पहले उसे साफ-सफाई और सुरक्षा नियमों का पालन कराना अनिवार्य है. ऐसा इसलिए क्योंकि बाहर से आने वाले लोग अपने साथ वायरस, बैक्टीरिया या संक्रमण ला सकते हैं, जिससे मुर्गियों की तबीयत बिगड़ सकती है और फार्म को भारी नुकसान हो सकता है.
फीड, पानी और उपकरण रखें कीटाणु मुक्त
मुर्गियों की सेहत के लिए साफ पानी और अच्छी खुराक सबसे जरूरी होती है. अगर फीड या पानी गंदा हो, तो यह बीमारियों का कारण बन सकता है. इसलिए फीड को हमेशा सूखी और साफ जगह पर रखें ताकि उसमें नमी या फफूंदी न लगे. पीने का पानी रोजाना बदलें और बर्तनों को अच्छी तरह धोएं. फार्म में इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरण जैसे फीड ट्रे, वाटरर, सफाई ब्रश आदि को हर दिन साफ और कीटाणु रहित करना चाहिए. सुझाव है कि हफ्ते में कम से कम एक बार कीटाणुनाशक घोल से इन सभी चीजों को जरूर धोएं.
फार्म के प्रवेश द्वार पर Foot Dip जरूर रखें
फार्म की सुरक्षा के लिए मुख्य गेट पर फुट डिप (Foot Dip) रखना बहुत जरूरी होता है. यह एक छोटा टब या ट्रे होता है, जिसमें कीटाणुनाशक घोल भरा जाता है. फार्म में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति को अपने जूते पहले इस घोल में डुबाने चाहिए, ताकि बाहर से आने वाले कीटाणु अंदर न पहुंचें. इससे मुर्गियों को संक्रमण से बचाया जा सकता है. फुट डिप बनाना बहुत आसान है- आप घर पर ही एक छोटा टब लें, उसमें पानी और पाउडर वाला कीटाणुनाशक मिलाएं. इसे रोजाना बदलें और साफ रखें ताकि यह असरदार बना रहे.
सितंबर माह में मुर्गीपालकों द्वारा ध्यान देने योग्य बातें।@renu_bjp @Agribih @Dept_of_AHD @IPRDBihar @vijayaias @HorticultureBih #comfed #dairy #pashupalak #fish #fisheries #BiharAnimalAndFisheriesResourcesDept pic.twitter.com/5nqTPHaVio
— Animal & Fisheries Resources Dept., Bihar (@BiharAFRD) September 15, 2025
साफ-सफाई और फार्म की नियमित जांच करें
फार्म की सफाई रोजाना करना बेहद जरूरी है ताकि बीमारियों से बचाव हो सके. टूटे अंडे, बचे हुए चारे और कचरे को तुरंत हटाएं, क्योंकि ये कीटों और बैक्टीरिया को आकर्षित करते हैं. सप्ताह में एक बार फार्म के आसपास फॉगिंग या कीट नियंत्रक स्प्रे जरूर करें, जिससे मच्छर, मक्खी और अन्य हानिकारक कीट दूर रहें. मुर्गियों की रोज़ाना निगरानी करें- अगर कोई मुर्गी सुस्त दिखे, खाना कम खाए या अलग-थलग बैठी हो, तो उसे बाकी से अलग कर दें और तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लें. ये छोटी-छोटी सावधानियां फार्म को सुरक्षित और उत्पादन को बेहतर बना सकती हैं.
सरकार की सलाह और मदद का लें पूरा लाभ
बिहार सरकार का पशुपालन विभाग मुर्गीपालकों को समय-समय पर जरूरी जानकारी, प्रशिक्षण और सहयोग प्रदान करता है. सभी मुर्गीपालकों को चाहिए कि वे अपने नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र से संपर्क में रहें और फार्म की स्थिति के अनुसार विशेषज्ञों से सलाह लें. विभाग द्वारा जारी बायो-सिक्योरिटी मैनुअल को ध्यान से पढ़ें और उसके निर्देशों का पालन करें. किसी भी आपात स्थिति में तुरंत विभाग से संपर्क करें. सरकारी सहायता से न केवल मुर्गियों को बीमारियों से बचाया जा सकता है, बल्कि फार्म की उत्पादकता और मुनाफा भी बढ़ाया जा सकता है. यह फार्म के लिए सुरक्षा की मजबूत दीवार बनाता है.