खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है. बहुत से किसान फसलों की बुवाई भी शुरु कर चुके हैं. ऐसे में किसान इस खरीफ सीजन में तोरई (Ridge Gourd Farming)की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. भारत में तोरई एक लोकप्रिय सब्जी है जो कि कम समय में ज्यादा पैदावार देती है. अगर किसान तोरई के उन्नत किस्म के बीजों का चुनाव करें तो किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है. इसकी खेती खरीफ और जायद दोनों सीजनों में की जा सकती है. खबर में आगे बात करेंगे कैसे करते हैं तोरई की खेती और किसानों को कैसे होता है इसकी खेती से मुनाफा.
ऐसे करें खेत की तैयारी
तोरई की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेस्ट होती है जिसमें पानी के निकलने का उचित इंतजाम हो. तोरई की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए. तोरई के बीज लगाने से पहले खेत की अच्छे से 2 से 3 बार जुताई कर लें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए. इसके बाद मिट्टी में 15 से 20 टन गोबर की खाद डालकर खेत को एक समान कर लें.
बीजों की बुवाई का सही तरीका
तोरई की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 2.5 से 3.5 किग्रा बीज की जरूरत होगी. खेत में बीज बोने से पहले उन्हें 12 घंटे पानी में भिगोकर रखें. इसके बाद बीजों को सीधे खेतों में बोएं. कतार से कतार की दूरी 2 मीटर रखे. वहीं पौधों से पौधों की दूरी 0.5 से 1 मीटर रखें. तोरई एक बेल वाली फसल है इसलिए पौधे की बेल को सहारा देने के लिए मंडप या जाल का इस्तेमाल करें. पौधे में फूल और फल बनने के समय पर नियमित रूप से सिंचाई करें.
किसानों को कितना होता है मुनाफा
तोरई की फसल बुवाई के करीब 45 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है. प्रति हेक्टेयर फसल से औसतन 120 से 150 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है. तोरई की खेती में किसानों की कुल लागत करीब 25 हजार रुपये से 35 हजार रुपये तक होती है. बाजार की कीमतों के अनुसार तोरई से किसान प्रति किलो 1.5 लाख रुपये से 2.5 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. यानी कमाई से लागत हटा दी जाए तो किसान 1 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं.