पशुओं की दवाओं पर सरकार सख्त, 18 एंटीबायोटिक और 18 एंटीवायरल के इस्तेमाल पर लगाई रोक

सरकार की अधिसूचना के मुताबिक अब कोई भी एंटीमाइक्रोबियल दवा इस उद्देश्य से नहीं दी जा सकती कि उससे पशु का वजन, दूध या अंडा उत्पादन बढ़ जाए. यानी, "ग्रोथ प्रमोशन" या "उपज बढ़ाने" के नाम पर दवा देना अब पूरी तरह से गैरकानूनी होगा.

नई दिल्ली | Updated On: 17 Jul, 2025 | 09:13 AM

अगर आप पशुपालन, मुर्गी पालन या मधुमक्खी पालन से जुड़े हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत अहम है. केंद्र सरकार ने अब सीधे तौर पर कई ऐसी दवाओं के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है जो अब तक आमतौर पर दूध देने वाले जानवरों, अंडा देने वाले पक्षियों, मधुमक्खियों और मांस के लिए पाले जाने वाले मवेशियों के इलाज में इस्तेमाल की जाती थीं. खासतौर पर उन फार्मों पर भी यह प्रतिबंध लागू है जहां से जानवरों की आंतें निकाली जाती हैं या पशु उत्पाद जैसे एनिमल केसिंग बनाए जाते हैं. यह फैसला देश में “एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR)” को रोकने और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.

किन दवाओं पर लगा है प्रतिबंध?

सरकार ने कुल 18 एंटीबायोटिक, 18 एंटीवायरल और एक एंटी-प्रोटोजोआन दवाओं के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. ये दवाएं अब इन पशुओं के इलाज या पालन में इस्तेमाल नहीं की जा सकेंगी:

  • दूध देने वाले पशु (गाय, भैंस आदि)
  • अंडा देने वाले पक्षी (मुर्गियां आदि)
  • मधुमक्खियां
  • बकरी, भेड़, सूअर
  • वे जानवर जिनकी आंतों से एनिमल केसिंग तैयार किए जाते हैं

अब ग्रोथ के लिए दवा देना होगा गैरकानूनी

सरकार की अधिसूचना के मुताबिक अब कोई भी एंटीमाइक्रोबियल दवा इस उद्देश्य से नहीं दी जा सकती कि उससे पशु का वजन, दूध या अंडा उत्पादन बढ़ जाए. यानी, “ग्रोथ प्रमोशन” या “उपज बढ़ाने” के नाम पर दवा देना अब पूरी तरह से गैरकानूनी होगा.

सरकारी अधिसूचना में क्या कहा गया?

द हिंदू की खबर के अनुसार,  वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में साफ कहा गया है “अब किसी भी प्रकार की एंटीमाइक्रोबियल दवा, समूह या औषधीय उत्पाद का उपयोग मधुमक्खियों, दूध देने वाले जानवरों, अंडा देने वाले पक्षियों और उन जानवरों के इलाज में नहीं किया जाएगा जिनसे आंत या अन्य केसिंग उत्पाद प्राप्त किए जाते हैं.”

मधुमक्खी पालन और मांस उद्योग पर असर

इस फैसले से सबसे ज्यादा असर मधुमक्खी पालकों, पोल्ट्री उद्योग, दूध उत्पादन से जुड़े किसानों और मांस निर्यात में लगे लोगों पर पड़ने वाला है. क्योंकि अब केसिंग (आंत से बनने वाला उत्पाद) की प्रक्रिया में भी इन दवाओं का इस्तेमाल नहीं हो पाएगा, जिससे विदेशी बाजारों में भारतीय पशु उत्पादों की गुणवत्ता और मानक बेहतर हो सकेंगे.

क्यों जरूरी था ये फैसला?

  • भारत में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस यानी शरीर में दवाओं के असर को खत्म करने की समस्या तेजी से बढ़ रही है.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य खतरे की सूची में रखा है.
  • पशु उत्पादों में इस्तेमाल होने वाली दवाएं इंसानों के लिए भी हानिकारक साबित हो सकती हैं, खासतौर पर जब वो बिना जरूरत बार-बार दी जाती हैं.
  • यह प्रतिबंध खाने की श्रृंखला (food chain) को शुद्ध रखने की दिशा में अहम कदम है.

किसानों और पशुपालकों के लिए सलाह

यदि आप किसी भी रूप में पशुपालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन या मांस उत्पादन से जुड़े हैं तो अब आपको दवाओं के इस्तेमाल से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि वे प्रतिबंधित सूची में न हों. साथ ही, पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए अब बायो-सिक्योरिटी, स्वच्छता, टीकाकरण और पोषण पर ज्यादा ध्यान देना होगा.

Published: 17 Jul, 2025 | 09:10 AM