अरहर या तुअर दाल की मांग बाजार में सालभर रहती है, क्यों कि यह भारतीय रसोई का एक अभिन्न हिस्सा है. किसान भी अरहर की खेती से काफी मुनाफा कमाते हैं. लेकिन कई बार सही स्टोरेज न हो पाने के कारण या फिर किसानों का लापरवाही के कारण अरहर में कीट लगने लगते हैं. जिससे फसल खराब हो जाती है और किसानों को भी इसका भारी नुकसान उठाना पड़ता है. आज हम ऐसी ही 3 कीटों के बार में बात करने वाले हैं जो अरहर की फसल को खराब कर देते हैं. साथ ही जानेंगे क्या है इनको रोकने का तरीका.
अरहर में लगने वाले तीन कीट
फली छेदक
फली छेदक एक ऐसा कीट है जो फलियों में छेद कर देता है. इसके आक्रमण से फली के अंदर लार्वा बनता है जिससे फलियां नरम पड़ जाती हैं, जिससे फली पर सड़े हुए धब्बे दिखने लगते हैं. इसके आक्रमण से नई फलियां गिरने लगती हैं.
ऐसे करें बचाव
फली छेदक कीट को रोकने के लिए फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करें. समय-समय पर पौधों की जांच करते रहें और नियमित रूप से पौधों को पानी और जरूरी खाद देते रहें.
पत्ती लपेटक
यह कीट फसल की पत्तियों को लपेटकर उनके अंदरूनी हिस्से को खाते हैं.ऐसा करने से पौधों का विकास रुक जाता है. पत्तियों के किनारे मुड़े और अंदर से खोखले दिखने लगते हैं. साथ ही फसल की उपज भी कम हो जाती है.
कैसे करें बचाव
पत्ती लपेटक से बचाव के लिए फसल पर ‘अदामा प्लेथोरा’ कीटनाशक का इस्तेमाल करें. किसान नियमित रुप से फसलों कि निगरानी करें और कीट लगने के शुरुआती लक्षणों की पहचान करें.
फली मक्खी
फली मक्खी को फल मक्खी या पॉड मक्खी भी कहा जाता है. यह कीट फसलों के फल और फलियों पर आक्रमण करता है. जिससे फल -फलियां खराब हो जाते हैं और फसल की पैदावार भी कम हो जाती है.
रोकने के लिए करें ये उपाय
फली मक्खी को रोकने के लिए फसलों को साफ-सुथरा रखना और खरपतवारों को हटाना जरूरी है. जिस फली में कीट हो उसे हटा देना चाहिए. किसान चाहें तो कीटनाशकों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
समय रहते लक्षणों को पहचानें
अरहर की फसलों को कीटों से बचाने के लिए जरूरी है कि किसान समय रहते फसल के बचाव के सारे इंतजाम करें. समय-समय पर फसल की निगरानी करते रहें ताकि शुरुआत में ही कीट लगने के लक्षणों की पहचान हो सकें और समय रहते इसका उपचार किया जा सके.