अब इस वायरस से नहीं बर्बाद होगी फसल! हरी मूंग और उड़द की खास किस्म का ट्रायल शुरू

थंजावुर जिले में पीले मोजेक वायरस से बचाने के लिए बीज प्रमाणन विभाग ने हरी मूंग और उड़द की रोग-प्रतिरोधी किस्मों का ट्रायल के तौर पर बुवाई की है. कानपुर से मंगाए गए बीजों की खेती से अच्छे रिजल्ट मिले हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 24 Jun, 2025 | 03:52 PM

बीज प्रमाणन और ऑर्गेनिक प्रमाणन विभाग ने तमिलनाडु के थंजावुर जिले में ट्रायल के तौर पर बीमारी से बचने वाली हरी मूंग और उड़द की कुछ किस्मों की खेत में बुवाई की है. इसके लिए उन्होंने कानपुर के भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान से बीज मंगवाए हैं. इसका मकसद किसानों को हरी मूंग और उड़द की खेती के लिए बढ़ावा देना है, ताकि वे पीले मोजेक वायरस जैसी बीमारियों से बच सकें, जो पिछले कुछ सालों में इन फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा चुकी हैं.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों के दौरान थंजावुर जिले में फसलों पर रोग के हमले की वजह से कई किसानों ने हरी मूंग और उड़द की खेती छोड़ दी है और दूसरी फसलों की ओर रुख किया है. अधिकारियों के अनुसार, कुछ किसानों ने दूसरे राज्यों से बीज खरीदकर नई किस्में उगाने की कोशिश भी की, लेकिन वे भी रोगों से बचाव नहीं कर पाईं. ऐसे में उन किसानों को नुकसान उठाना पड़ा.

35,000 हेक्टेयर में दलहन की खेती

हालांकि, थंजावुर जिले में औसतन करीब 35,000 हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द और हरी मूंग की खेती होती है. लेकिन पिछले कुछ सालों में रोगों के हमले की वजह से इसके रकबे  में लगातार कमी आई है. इसे ध्यान में रखते हुए, बीज प्रमाणन विभाग के अधिकारियों ने ICAR-भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर से संपर्क किया और लगभग 20 किस्मों के बीज मंगवाए. फिर थंजावुर जिले के थंजावुर, पाट्टुकोट्टई और कुम्भकोनम ब्लॉकों के खेतों में टेस्ट के लिए बुवाई की गई. अधिकारियों ने कहा कि इंटीग्रेटेड प्लांट प्रोटेक्शन उपायों के साथ कुछ किस्में रोग-प्रतिरोधी साबित हुई हैं और ये डेल्टा क्षेत्र के लिए उपयुक्त भी हैं.

उड़द की नई रोग प्रतिरोधी किस्म

इसी तरह, उड़द की एक किस्म ‘कोटा 5’ भी रोग-प्रतिरोधी पाई गई है.  कुछ किसानों ने पहले ही ‘कोटा 3’ किस्म की खेती की थी, जो ओरथनाडु इलाके में लगभग 20 एकड़ में उगाई गई थी और फसल अच्छी रही. अधिकारियों का कहना है कि उन खेतों की फसलों पर करीब से निगरानी रखी जा रही है और कटाई के बाद वे अगली फसल के लिए डेल्टा क्षेत्र के किसानों के लिए उपयुक्त और रोग-प्रतिरोधी किस्में सुझाएंगे. साथ ही, वे बीज खरीदने में भी किसानों का समर्थन करते रहेंगे.

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Published: 24 Jun, 2025 | 03:45 PM

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