3 रुपये किलो हुआ आम का रेट, नाराज किसानों ने सड़क किनारे फेंकी पूरी उपज

आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में तोतापुरी आम किसानों को समर्थन मूल्य मिलने के बावजूद भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी, कम दाम और बढ़ती सप्लाई के चलते किसान आम सड़क किनारे फेंकने को मजबूर हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 24 Jun, 2025 | 02:07 PM

आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में आम उत्पादों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. उचित कीमत नहीं मिलने से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. ऐसे में किसान मजबूर होकर सड़क किनारे आम फेंक रहे हैं. हालांकि हाल में ही तोतापुरी आम किसानों के लिए राज्य सरकार ने 4 रुपये प्रति किलो का समर्थन मूल्य घोषित किया था, लेकिन इसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में तिरुपति जिले के बंटवारे के बाद तिरुपति में फल प्रोसेसिंग यूनिट्स की संख्या कम हो गई, क्योंकि ज्यादातर यूनिट्स चित्तूर जिले में चली गईं. इसके चलते तिरुपति के आम किसान अब अपने फल बेचने के लिए पड़ोसी जिले के गंगाधर नेल्लोर और पुथलपट्टू की ओर रुख कर रहे हैं. इस बीच, कई किसानों ने सरकार की सलाह के बावजूद घबराकर जल्दी कटाई कर ली. लेकिन उन्हें सही दाम नहीं मिलने पर उन्होंने अपनी उपज फल प्रोसेसिंग यूनिट्स के पास या मंडियों के आसपास फेंक दी.

बाजार से अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा

वहीं, चित्तूर जिले में कई फल पल्प बनाने वाली फैक्ट्रियां अब भी बंद हैं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार से अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है. जो यूनिट्स चालू हैं, वे भी ज्यादा आम खरीदने से हिचकिचा रही हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं जरूरत से ज्यादा स्टॉक लेकर वे खुद ही मुश्किल में न पड़ जाएं.

खरीद मूल्य 3 से 4 रुपये प्रति किलो के बीच

खास बात यह है कि आम की सप्लाई बढ़ने और दाम गिरने के चलते फैक्ट्रियों ने खरीद में रुचि नहीं दिखाई, जिससे ट्रकों और ट्रैक्टरों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. इससे किसानों पर किराए का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है. जब खरीद मूल्य 3 से 4 रुपये प्रति किलो के बीच रहता है और सरकार द्वारा वादा किए गए 8 रुपये प्रति किलो नहीं मिलते, तो किसान नुकसान से बचने के लिए अपनी फसल को फेंकने पर मजबूर हो जाते हैं. हाल ही में कृषि मंत्री के. अचनायडू ने पकाला मंडल के दामलचेरुवू मार्केट का दौरा कर किसानों को भरोसा दिलाने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई खास असर नहीं पड़ा.

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Published: 24 Jun, 2025 | 12:42 PM

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