बिहार में 50 हजार किसान करेंगे प्राकृतिक खेती, 800 कृषि सखियां देंगी ट्रेनिंग

बिहार में 800 कृषि सखियों का चयन किया जाएगा जो कि किसानों को प्राकृतिक खेती से जुड़ी सारी जानकारी मुहैया कराएंगी. बिहार के उप मुख्य मंत्री और कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि इस साल अगस्त से पहले इन 800 कृषि सखियों का चुनाव कर लिया जाएगा.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 26 May, 2025 | 06:24 PM

देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारें हर संभव तरह से किसानों की मदद करती हैं, उन्हें ट्रेनिंग भी देती हैं. इसी कड़ी में बिहार में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने एक नया कदम उठाया है. बिहार में 800 कृषि सखियों का चयन किया जाएगा जो कि किसानों को प्राकृतिक खेती से जुड़ी सारी जानकारी मुहैया कराएंगी. बिहार के उप मुख्य मंत्री और कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि इस साल अगस्त से पहले इन 800 कृषि सखियों का चुनाव कर लिया जाएगा.

प्राकृतिक खेती के लिए बनेंगे 400 क्लस्टर

बिहार कृषि विभाग ने सोशल मीडिया के माध्यम से ये जानकारी दी है कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 400 क्लस्टर बनाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है. इस प्रस्ताव ते तहत प्रदेश के हर जिले में 20 से 22 कृषि सखियों को चुना जाएगा. इन सखियों को चुनने की जिम्मेदारी हर जिले के जिलाधिकारी को दी गई है. इसके लिए बिहार कृषि विभाग ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों की समति का गठन भी कर दिया है.

कृषि सखियां किसानों को देंगी ट्रेनिंग

बता दें कि चुनी गई कृषि सखियों को महीने में 16 दिन काम करना होगा. जिसके लिए उन्हें हर दिन 300 रुपये मानदेय के तौर पर दिये जाएंगे और 200 रुपये हर महीने सफर के लिए भत्ते के तौर पर दिए जाएंगे. ये कृषि सखियां अपने इलाके के किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ उनका पंजीकरण करवाना, ट्रेनिंग दिलवाना और तकनीक से किसानों का परिचय कराने का भी काम करेंगी.

50 हजार किसानों को मिलेगा योजना का लाभ

बिहार सरकार की इस योजान से प्रदेश के 50 हजार रजिस्टर्ड किसानों को लाभ पहुंचाया जाएगा. इस योजना के तहत बिहार कृषि विभाग का लक्ष्य 20 हजार हेक्टेयर पर प्राकृतिक खेती कराना है. कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि प्राकृतिक खेती से जमीन की उर्वरक क्षमता में सुधार लाना है. उन्होंने बताया कि ऐसा करने से किसानों की लागत में कमी आती है और साथ ही किसानों को वित्तीय मदद भी मिलती है. इसके साथ ही प्राकृतिक खेती वातावरण के अनुकूल भी होती है. बता दें कि बिहार कृषि विभाग की इस योजना पर प्रदेश सरकार की मुहर लग चुकी है.

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Published: 26 May, 2025 | 06:23 PM

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