Wheat Farming : रबी का मौसम आते ही किसान सबसे पहले गेहूं की तैयारी में जुट जाते हैं. मेहनत, खाद-पानी और समय लगाने के बाद भी कई बार खेत में उगने वाले खरपतवार सारी कमाई खराब कर देते हैं. ये खरपतवार ऐसे होते हैं जैसे बिना बुलाए मेहमान, जो फसल का खाना-पानी खुद खा जाते हैं. गेहूं की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं खरपतवारों से होता है. अगर समय रहते सही तरीका न अपनाया जाए, तो पैदावार 15 से 80 फीसदी तक गिर सकती है. ऐसे में आज हम आपको एक आसान, सस्ता और आजमाया हुआ तरीका बता रहे हैं, जिससे खर्च भी घटेगा और गेहूं की फसल भी मजबूत होगी.
गेहूं में खरपतवार क्यों बनते हैं परेशानी
गेहूं के खेत में कई खरपतवार उगते हैं. ये खरपतवार मिट्टी से खाद, पानी और धूप छीन लेते हैं. नतीजा यह होता है कि गेहूं कमजोर रह जाता है. आजकल ज्यादा खाद और पानी देने से खरपतवार और तेजी से बढ़ते हैं. ऊपर से हर साल एक ही खेत में धान-गेहूं उगाने से ये और पक्के हो जाते हैं. इसलिए केवल दवा छिड़कना ही समाधान नहीं है.
बासी बीज क्यारी तकनीक क्या है
बासी बीज क्यारी एक बहुत आसान तरीका है. इसमें गेहूं बोने से पहले खेत में हल्की सिंचाई कर दी जाती है. इससे खेत में छिपे खरपतवार पहले ही उग आते हैं. जब ये छोटे-छोटे पौधे निकल आएं, तब हल्की जुताई करके या जरूरत हो तो दवा से इन्हें खत्म कर दें. इसके बाद गेहूं की बुवाई करें. इससे खरपतवार का बीज पहले ही नष्ट हो जाता है और गेहूं को साफ खेत मिलता है.
सही बुवाई और किस्म का चुनाव
अगर गेहूं की बुवाई अक्टूबर के आखिरी हफ्ते या नवंबर के पहले हफ्ते में कर दी जाए, तो गुल्ली डंडा की समस्या कम हो जाती है. इसके साथ ही ऐसी किस्में चुनें जो जल्दी बढ़ती हों, जैसे एचडी 2967, एचडी 3086 या पीबीडब्ल्यू 725. बुवाई के समय बीज की मात्रा थोड़ी बढ़ा दें और लाइन से लाइन की दूरी कम रखें. इससे गेहूं घना उगेगा और खरपतवार को जगह नहीं मिलेगी.
कम खर्च में ज्यादा फायदा कैसे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बार-बार एक ही दवा डालने से खरपतवार दवा से नहीं मरते. इसलिए हर साल दवा बदल-बदल कर इस्तेमाल करें. जरूरत हो तो मशीन से निराई करें. फसल चक्र अपनाएं, जैसे बीच-बीच में सरसों, आलू या बरसीम उगाएं. इससे खरपतवार खुद ही कम हो जाते हैं. किसान अगर समय पर सही तरीका अपनाएं, तो खेती सस्ती भी होगी और मुनाफा भी बढ़ेगा.