धान की फसल में फैली रहस्यमई बीमारी, नहीं किया इलाज तो 80 फीसदी तक गिर सकती है उपज

हरियाणा के कई जिलों में धान की फसल साउदर्न राइस ब्लैक स्ट्रिक ड्वार्फ वायरस से बुरी तरह प्रभावित है, जिससे पैदावार 80 फीसदी तक घट सकती है. गैर-बासमती किस्में जैसे PR 114, PR 131 सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 9 Aug, 2025 | 12:57 PM

हरियाणा के कई जिलों में धान की फसल एक रहस्यमयी बीमारी से प्रभावित हो रही है, जिससे किसान बहुत परेशान हैं. सबसे ज्यादा असर करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, कैथल और यमुनानगर जैसे प्रमुख धान उत्पादक जिलों में देखा गया है. वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि यह बीमारी साउदर्न राइस ब्लैक स्ट्रिक ड्वार्फ वायरस (SRBSDV) के कारण फैल रही है, जो पौधों की बढ़त को रोक देती है और फसल बौनी रह जाती है. ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि इस वायरस पर समय रहते काबू नहीं पाया गया, तो धान की पैदावार 80 फीसदी तक घट सकती है. इससे किसानों को नुकसान होगा.

इस वायरस का असर खास तौर पर उन गैर-बासमती धान की किस्मों पर हुआ है जो अधिक उपज देने वाली हैं. खास कर PR 114, PR 131 और PR 126 किस्में इस बीमारी की चपेट में ज्यादा हैं. इनमें भी जून 15 से 20 के बीच लगाए गए खेतों में बीमारी ज्यादा पाई गई है. राज्य कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालयों और केंद्र सरकार की एजेंसियों ने मिलकर खेतों का सर्वे किया और बीमारी की पुष्टि की है.

6,500 एकड़ खेत बुरी तरह प्रभावित

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जिलों से मिले आंकड़ों के अनुसार, करनाल के असंध और निसिंग ब्लॉक में करीब 5,000 एकड़, कुरुक्षेत्र के पिहोवा और लाडवा ब्लॉक में 6,500 एकड़ और अंबाला के मुल्लाना, साहा और नारायणगढ़ ब्लॉक में भी 6,500 एकड़ खेत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. किसानों ने इस भारी नुकसान के चलते सरकार से गिरदावरी (फसल नुकसान सर्वे) और मुआवजे की मांग की है.

पैदावार में आ सकती है गिरावट

अंबाला के उपनिदेशक कृषि, जसविंदर सैनी ने चेतावनी दी है कि अगर इस वायरस पर समय रहते काबू नहीं पाया गया, तो धान की पैदावार 80 फीसदी तक घट सकती है. किसानों को सलाह दी गई है कि वे संक्रमित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें और खेतों की नियमित निगरानी करें. उन्होंने कहा कि मेरे इलाके में कई किसानों ने पहले ही 30 से  40 फीसदी खेतों को जोत दिया है.

हालांकि, किसानों का कहना है कि तमाम कोशिशों के बाद भी बीमारी खत्म नहीं हो रही. करनाल के इंद्री से ईशम सिंह ने कहा कि उन्होंने 11 एकड़ में धान की खेती की थी और सरकार द्वारा सुझाए गए कीटनाशकों का इस्तेमाल भी किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि पहले 28 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार होती थी, अब शायद 14 क्विंटल ही हो. साथ ही खर्चा भी बढ़ गया है.

किसानों को दी गई खास सलाह

इस बीच, 5 से 7 अगस्त तक केंद्रीय टीम ने प्रभावित जिलों का दौरा किया. टीम की अगुवाई रसीपिएमसी, फरीदाबाद की उपनिदेशक (प्लांट पैथोलॉजी) वंदना पांडे ने की. करनाल के ख्वाजा अहमदपुर गांव में दौरे के दौरान टीम ने पाया कि इस वायरस को फैलाने वाला कीड़ा व्हाइट-बैक्ड प्लांट हॉपर है. वंदना पांडे ने कहा कि इस बार के लक्षण 2022 में फैली बीमारी जैसे ही हैं. प्रभावित खेतों से सैंपल लैब में जांच के लिए भेजे गए हैं. उन्होंने कहा कि कई किसान पहले ही कीटनाशक छिड़क चुके हैं, लेकिन हम सलाह देते हैं कि जब तक खेत में कीड़ा (हॉपर) न दिखे, तब तक छिड़काव न करें.

 

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Published: 9 Aug, 2025 | 12:47 PM

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