छत्तीसगढ़ में धान खरीदी केंद्र पर किसानों से हो रही अवैध वसूली? कांग्रेस नेता का गंभीर आरोप

छत्तीसगढ़ में विपक्षी नेता चरणदास महंत ने किसानों से वसूले जा रहे अवैध मजदूरी शुल्क और सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल से धान खरीद प्रभावित होने की चिंता जताई. उन्होंने MSP केंद्रों पर तत्काल सुधार, डेटा एंट्री ऑपरेटरों का पूर्ण-वर्ष वेतन और नियमितीकरण की मांग की.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 30 Nov, 2025 | 08:56 AM

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में धान खरीद प्रक्रिया को लेकर विपक्षी नेता चरणदास महंत ने चिंता जताई है. उनका कहना है कि किसानों से ‘अवैध’ मजदूरी शुल्क वसूला जा रहा है, जिसे सरकार को देना चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि सहकारी समाज के कर्मचारियों और डेटा एंट्री ऑपरेटरों की अनसुलझी हड़ताल से राज्य में धान खरीद प्रभावित हो सकती है. महंत ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि MSP केंद्रों पर किसानों से प्रति क्विंटल 7.50 रुपये का शुल्क बैग भरने और मजदूरी के नाम पर लिया जा रहा है, जिसे तुरंत रोकना चाहिए. किसानों को या तो खुद भरे हुए जूट बैग लाने पड़ रहे हैं या प्रति 40 किलो बैग 3 रुपये मजदूरों को देने पड़ रहे हैं, नहीं तो उनका धान खरीदा नहीं जा रहा.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही राज्य की खरीद एजेंसियों  को प्रति क्विंटल 22.05 रुपये देती है, जो बैग भरने, वजन करने, सिलाई, मार्किंग, लोडिंग और स्टैकिंग जैसी सभी संचालन लागत को कवर करती है. 9 अक्टूबर 2025 की केंद्रीय सर्कुलर का हवाला देते हुए, उन्होंने आरोप लगाया कि 2023- 24 और 2024- 25 खरीफ मौसम में यह ‘अवैध वसूली’ 220.68 करोड़ रुपये तक पहुंच गई और इसे तुरंत रोकने के लिए हस्तक्षेप की मांग की.

हजारों कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने कदम नहीं उठाया, तो कांग्रेस पूरे राज्य में आंदोलन करेगी. एक और पत्र में महंत ने कहा कि 15 नवंबर से शुरू होने वाले 2025- 26 खरीफ मौसम के बावजूद 2,058 प्राइमरी कृषि क्रेडिट सहकारी समितियों और 2,739 खरीद केंद्रों के दफ्तर हजारों कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण बंद हैं. महंत ने कहा कि सरकार हड़ताल खत्म कराने में कोई प्रगति नहीं कर रही है, जिससे धान खरीद  का सुचारू आरंभ लगभग असंभव हो गया है. हड़ताली कर्मचारियों ने चार लंबे समय से लंबित मांगें उठाई हैं, जिनमें खरीदा गया धान समय पर निपटाना और सहकारी समितियों को उनकी कमीशन राशि देने की मांग शामिल है, ताकि वे कर्मचारियों को वेतन दे सकें.

कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है

महंत ने कहा कि खरीद केंद्रों  में धान की देरी से पैदा हुई कमी को गलती बताकर गलत वसूली और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि लंबे समय तक भंडारण के कारण प्राकृतिक सुखाने से वजन कम होना स्वाभाविक है. विपक्षी नेता ने डेटा एंट्री ऑपरेटरों की समस्याओं पर भी ध्यान दिलाया. उनका कहना है कि ये ऑपरेटर कम्प्यूटरीकृत खरीद प्रक्रिया के लिए बेहद जरूरी हैं.

12 महीने का वेतन मिलता था

पिछले साल तक उन्हें 12 महीने का वेतन मिलता था, लेकिन 2025- 26 के लिए सरकार ने उन्हें केवल छह महीने का वेतन देने और मार्केटिंग फेडरेशन के जरिए आउटसोर्सिंग से नियुक्त करने का फैसला किया. महंत ने इसे ‘अत्यंत अन्यायपूर्ण’ बताया और कहा कि डेटा एंट्री  ऑपरेटर पिछले 18 साल से काम कर रहे हैं, इसलिए उन्हें कम नहीं बल्कि बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहि. उनका पूर्ण-वर्ष वेतन और नियमितीकरण का दावा बिलकुल जायज है.

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Published: 30 Nov, 2025 | 08:50 AM

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