मॉनसून के जल्दी आने से खरीफ कपास की फसल हुई बेहतर, बाजार में इस कीमत पर होगी उपलब्ध

पिछले साल की तुलना में इस बार कपास की फसल तेजी से बढ़ रही है. कर्नाटक के रायचूर, बेल्लारी, आंध्र प्रदेश के अदोनी और तेलंगाना के नारायणपेट जैसे इलाकों में सितंबर के पहले हफ्ते से फसल बाजार में आने लगेगी.

नई दिल्ली | Updated On: 9 Aug, 2025 | 04:15 PM

इस साल माॉनसून देश के दक्षिणी हिस्सों में सामान्य से पहले पहुंच चुका है, जिससे खरीफ कपास की फसल भी समय से पहले तैयार होने की संभावना बढ़ गई है. खासतौर से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में इस तेजी का सीधा फायदा किसानों को मिलने वाला है. किसानों के लिए यह अच्छी खबर है क्योंकि जल्दी फसल आने से उनकी आमदनी में सुधार हो सकता है.

कपास की फसल क्यों आएगी जल्दी?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, मॉनसून के जल्दी आने के कारण किसानों ने अपनी खेतों में भी जल्दी बुआई की है. बारिश की सही समय पर शुरूआत से फसल को पर्याप्त पानी मिला है, जो उसकी बढ़वार में मददगार साबित हुआ है. पिछले साल की तुलना में इस बार कपास की फसल तेजी से बढ़ रही है. कर्नाटक के रायचूर, बेल्लारी, आंध्र प्रदेश के अदोनी और तेलंगाना के नारायणपेट जैसे इलाकों में सितंबर के पहले हफ्ते से फसल बाजार में आने लगेगी.

कपास की खेती का क्षेत्रफल

देश में कपास की खेती का कुल क्षेत्रफल लगभग 106 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल के 108 लाख हेक्टेयर से थोड़ा कम है. हालांकि, गुजरात में कपास के रकबे में कमी आई है, लेकिन कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इसका क्षेत्रफल बढ़ा है, जिससे कुल उत्पादन बेहतर रहने की उम्मीद है. इस बदलाव का सीधा असर बाजार में कपास की उपलब्धता और किसानों की आमदनी पर पड़ेगा.

कपास की कीमतें और MSP

कपास की कीमतों की बात करें तो अभी बाजार में 10 प्रतिशत नमी वाली कपास की कीमत लगभग 55,000 से 55,900 रुपये प्रति 356 किलो के बीच चल रही है. इसके साथ ही सरकार ने भी कपास के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया है. मध्यम रेशे वाले कपास के लिए MSP 7,710 रुपये प्रति क्विंटल और लंबे रेशे वाले कपास के लिए 8,110 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है. MSP से किसानों को अपनी फसल का सही मूल्य मिलने की गारंटी मिलती है, जिससे वे बेहतर आर्थिक स्थिति में रह सकते हैं.

कपड़ा उद्योग की चुनौतियां

हालांकि कपास की मांग अभी थोड़ी कमजोर बनी हुई है. इसके पीछे प्रमुख कारण टैरिफ से जुड़ी समस्याएं हैं, जिनकी वजह से कपड़ा मिलें नई कपास की खरीद में संकोच कर रही हैं. इस वजह से कपास की कीमतों पर दबाव बना हुआ है. जब तक टैरिफ मुद्दों पर स्पष्टता नहीं आती, तब तक कपास के दाम स्थिर या थोड़े कम रह सकते हैं. कपास उद्योग को इस समस्या का जल्द समाधान चाहिए ताकि किसानों को बेहतर दाम मिल सकें और उत्पादन की मांग बनी रहे.

किसानों की तैयारियां और उम्मीदें

जल्द बारिश आने से किसान भी अपनी तैयारियों में जुटे हैं. वे समय से पहले खेतों में काम कर रहे हैं और फसल की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. कपास की अच्छी फसल आने पर किसानों को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. साथ ही कपास की समय पर उपलब्धता से बाजार में भी संतुलन बना रहेगा.

Published: 9 Aug, 2025 | 02:57 PM