कपास की खेती के लिए इन किस्मों का चुनाव करें किसान, देखें 16 किस्मों की सूची

बीटी कपास की खेती के लिए सही किस्म का चुनाव, बुवाई की विधि और उर्वरक प्रबंधन बेहद महत्वपूर्ण है. कृषि विस्तार कार्यालय, श्रीगंगानगर ने 16 प्रमुख बीटी कपास की किस्मों की सूची और किसानों के लिए जरूरी कृषि गाइडलाइन जारी की है, जिससे अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 2 May, 2025 | 08:00 AM

कपास भारत की प्रमुख नकदी फसलों में से एक है, जिसे किसान बड़े पैमाने पर खरीफ सीजन में उगाते हैं। यह फसल न केवल किसानों की आमदनी का मुख्य जरिया है, बल्कि देश के वस्त्र उद्योग की रीढ़ भी मानी जाती है. बेहतर उपज और गुणवत्ता के लिए सही किस्म का चुनाव, संतुलित उर्वरक प्रबंधन और वैज्ञानिक बुवाई अत्यंत आवश्यक है. इसी दिशा में श्रीगंगानगर स्थित कृषि विस्तार कार्यालय ने कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए उपयोगी जानकारी साझा की है. विभाग ने किसानों से आग्रह किया है कि वे बीटी कपास की बुवाई के लिए मई महीने के पहले तीन सप्ताह का चुनाव करें, यानी 1 मई से 20 मई तक की अवधि इस फसल के लिए सबसे उपयुक्त मानी गई है. विभाग ने इस सीजन में कपास की 16 प्रमुख वैरायटी की सूची भी जारी की है, जिससे किसान अपनी जमीन और जलवायु के अनुसार उपयुक्त किस्म का चुनाव कर सकें.

बुवाई का तरीका और बीज की मात्रा

बीटी कपास की बुवाई करते समय बीज की मात्रा 450 ग्राम प्रति बीघा तय की गई है. अच्छे अंकुरण और पौधों की बेहतर वृद्धि के लिए पौधों के बीच उचित दूरी रखना आवश्यक है. बुवाई के लिए कतार से कतार की दूरी 108 सेंटीमीटर (42 इंच) और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर (24 इंच) रखनी चाहिए. इसके अलावा किसान चाहें तो 67.5 x 90 सेंटीमीटर (27 x 35 इंच) की दूरी के विकल्प को भी अपना सकते हैं.

खाद एवं उर्वरक प्रबंधन

बीटी कपास की अच्छी पैदावार के लिए संतुलित उर्वरक प्रबंधन बेहद जरूरी है. इसमें नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए प्रति बीघा कुल 80 किलोग्राम यूरिया देने की सलाह दी गई है. इसके अलावा यूरिया को तीन बराबर हिस्सों में देना चाहिए. पहला हिस्सा बुवाई के समय, दूसरा हिस्सा पहली सिंचाई के साथ जब पौधों की छंटाई (विरलीकरण) की जाए और तीसरा हिस्सा कलियां बनते समय सिंचाई के साथ देना उचित रहता है.

जबकि बीटी कपास में फास्फोरस की पूर्ति के लिए किसान 22 किलोग्राम डीएपी प्रति बीघा या 62.5 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट प्रति बीघा की मात्रा बुवाई के समय दें. वहीं पोटाश की पूर्ति के लिए 60 फीसदी एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश) की 15 किलोग्राम मात्रा प्रति बीघा बुवाई के समय देना फायदेमंद रहेगा.

BT Kapas varieties

BT Kapas 16 Varieties

सूक्ष्म तत्वों की भूमिका

बीटी कपास के लिए मृदा परीक्षण के आधार पर जिंक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व की पूर्ति जरूरी है. यदि जिंक की कमी हो तो 33 फीसदी जिंक वाला 4 किलो Sture valida या 6 किलो 217 जिंक प्रति बीघा मिट्टी में छिड़काव कर मिलाएं.

कपास की अनुशंसित 16 किस्में

  • 1- MRC-7365, 7361, 7301, 7041 VICH-309, 310, C-9313
  • 2- KCH-999, 307, 172
  • 3- MH-5408, 5302, 5304
  • 4- ACH-33-2, 133-2, 177-2, 155-2, 902-2, 999-2, 559-2, 955-2
  • 5- Ankur-3228, 3224, 3244, 5642, Jassi, 555, 101, Raghuvir
  • 6- RCH-650, 653, 314, 791, 776, 773, 605, 938, 951, 846, 926, 960, 1101, 1103
  • 7- Super-544, 721, 965, 971
  • 8- KSCH-207, 212
  • 9- NCS-459, 855, 9002, 4455, 857, 558, 495
  • 10- PCH-225, 879
  • 11- PRCH-333
  • 12- Solar-75, 77
  • 13- SWCH-4735, 4744, 4755
  • 14- KDCHH-441
  • 15- 25D33
  • 16- 507H878

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Published: 2 May, 2025 | 08:00 AM

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