आज के समय में किसान बड़े पैमाने पर बागावनी फसलों की खेती करने लगे हैं. खासतौर पर फूलों की खेती. बाजार में भी फूलों की मांग सालभर बनी रहती है, जिसके कारण किसानों की इसकी खेती से अच्छा फायदा होता है. गुड़हल एक ऐसा फूल है, जिसका इस्तेमाल घर की सजावट से लेकर भगवान की पूजा तक में होता है. इसकी मनमोहक खुशबू लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. बाजार में इसकी मांग सालभर रहती है, जिसके कारण किसान इसकी खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. लेकिन बारिश के मौसम में गुड़हल के पौधों पर अकसर सफेद कीड़े दिखने लगते हैं, जो कि एक खतरनाक संकेत है. ऐसे में किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे समय रहते इन कीड़ों को पहचानें और गुड़हल के पौधे की इनसे सुरक्षा करें.
लिक्विड हैंडवॉश से भागेंगे कीड़े
गुड़हल के पौधे से सफेद कीड़ों को भगाने के लिए किसान आसान और घरेलू उपाय अपना सकते हैं. इन कीड़ों को खत्म करने का सबसे आसान तरीका है लिक्विड हैंडवाश का इस्तेमाल. इसके लिए लगभग एक लीटर पानी में आधा चम्मच लिक्विड हैंडवॉश या सर्फ मिलाकर एक घोल तैयार करें और फिर इस स्प्रे को बोतल में भरकर रख लें. फिर इस लिक्विड का गुड़हल के पौधों पर अच्छे से छिड़काव करें. घोल का छिड़काव करने के बाद पौधे को लगभग 10 मिनट तक ऐसे ही छोड़ दें.
पौधे को पानी से साफ करें
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुड़हल के पौधे को सफेद कीड़ों से बचाने के लिए किसान केवल पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक बार लिक्विड हैंडवाश का स्प्रे कर दें, इसके बाद पौधे को अच्छे से पानी से धो लें. ऐसा करने के बाद पौधे पर लगे सफेद कीड़े तुरंत खतम हो जाते हैं, और पौधा एक बार फिर से पहले की तरह हरा-भरा दिखने लगेगा. बता दें कि, गुड़हल के पौधे को बचाने के लिए किया गया ये घरेलू उपाय बेहद ही कारगर हैं. पौधे को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाता. इससे न केवल कीड़े खत्म होते हैं, बल्कि पत्तियों की चमक भी वापस आ जाती है.
ऐसे करें गुड़हल की खेत
गुड़हल की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी बेस्ट है, जिसका pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए. पौधों की रोपाई के समय इस बात का खयाल रखें कि पौधों से पौधों की दूर 60 से 90 सेमी और कतार से कतार की दूरी 90 सेमी होना ताहिए. खेत तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में 10 से 15 टन गोबर की खाद जरूर मिलाएं. इसके अलावा गर्मियों में हर 7 से 10 दिन में सिंचाई करें. लेकिन ध्यान रहे कि जलभराव न हो. जलभराव होने की स्थिति में पौधे की जड़ें सड़ने लगेंगी और पौधा बर्बाद हो जाएगा.