देश में मॉनसून की एंट्री हो चुकी है और इसी के साथ किसान इस मौसम में उगाई जाने वाली फसलों की बुवाई की शुरुआत कर चुके हैं. मॉनसून के मौसम में बहुते से ऐसे फूल होते हैं जिनकी खेती की जाती है. इन्ही फूलों में से एक है गुड़हल का फूल जिसकी खेती जून से जुलाई के बीच की जाती है. गुड़हल एक बागवानी फसल है जिसका इस्तेमाल सजावट के साथ-साथ कई तरह के कॉस्मेटिक उत्पादों को बनाने में भी होता है. खबर में आगे बात करेंगे किस तरह होती है गुड़हल की खेती और कितनी होती है इसकी पैदावार.
सही जलवायु और मिट्टी का चुनाव
गुड़हल (Hisbiscus) की खेती के लिए बारिश वाला और गर्म मौसम सही होता है. इसकी खेती के लिए 20 डिग्री से 35 डिग्रा सेल्सियस तक का तापमान सबसे बेस्ट होता है. इसके पौधे को बढ़ने के लिए हर दिन कम से कम 4 से 6 घंटे धूप की जरूरत होती है. गुड़हल की खेती के लिए 6.0 से 7.5 pH मान वाली दोमट मिट्टा सही होती है जिसमें अच्छी जल निकासी हो. मिट्टी में गोबर की खाद, वर्मीरमपोस्ट या नीम की खली मिलाएं ताकि मिट्टी की उर्वरक क्षमता में सुधार हो सके.
फूल आने का समय
गुड़हल का पौधा कटिंग या पौधे के द्वारा लगाया जाता है. पौधों के बीच की दूरी 2 से 3 फीट होनी चाहिए. गर्मी के दिनों में हफ्ते में 2 बार पौधे की सिंचाई करें और ध्यान रहे कि बारिश के मौसम में पानी भरने न दें. ऐसा होने पर गुड़हल का पौधा सड़ जाएगा. बता दें कि गुड़हल के पौधे में बुवाई के करीब 6 से 8 महीने में फूल आने शुरू होते हैं. गुड़हल के पौधा एक बार लगाने के बाद 5 से 7 साल तक फूल दे सकता है.
कहां होता है गुड़हल के फूल का इस्तेमाल
गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल पूजा-पाठ में होता है. इसके साथ ही इसमें कई तरह के औषधीय गुण भी होते हैं जो कि बालों के लिए , स्किन के लिए और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के काम आते हैं. इसके इस्तेमाल से कॉस्मेटिक भी बनाए जाते हैं जैसे हिबिस्कस हेयर ऑयल, फेस मास्क आदि. इसके फूल से चाय भी बनती है जिसे हिबिस्कस टी कहते हैं. ये चाय वजन घटानें में मदद करती है साथ ही एंटाऑक्सीडेंट्स का भी काम करती है.