बंजर जमीन पर करें बांस की खेती, 50 साल तक मिलेगी अच्छी पैदावार

बांसी के पौधों की रोपाई के करीब 3 से 4 साल बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. बता दें कि एक बार बांस के पौधों की रोपाई करने के बाद ये करीब 40 से 50 साल तक पैदावार देते हैं यानी ये एक लंबे समय तक चलने वाली फसल है.

नोएडा | Updated On: 7 Jul, 2025 | 05:49 PM

38398आज के समय में किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर ऐसी फसलों का चुनाव करते हैं जो कम पानी और कम देखभाल में भी अच्छा उत्पादन देने के साथ उन्हें अच्छी कमाई भी देती हैं. ऐसी फसलों में से एक प्रमुख फसल है बांस की जिसकी खेती आसानी से बंजर जमीन पर भी की जा सकती है. भारत में बांस की खेती तेजी से बढ़ रही है. ये एक कम लागत और देखभाल वाली फसल है. बता दें कि बांस को हरित सोना भी कहा जाता है. इसकी खेती से किसानों को अच्छा फायदा होता है क्योंकि बांस का इस्तेमाल बाजार में कई तरह के व्यावसायिक कामों में होता है.

सही मिट्टी का चुनाव

बांस की खेती के लिए 15 डिग्री से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे सही होता है और मॉनसून सीजन में इसकी खेती करना बेस्ट माना जाता है. बांस की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत होती है जिसका pH मान 5.5 से 6.5 होना चाहिए. ध्यान रहे कि बांस की खेती के लिए ऐसी जमीन का चुनाव करें जिसमें पानी जमा न हो या जलभराव न हो. बांस की खेती के लिए मिट्टी में साल में 1 से 2 बार गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें.

रोपाई करने का सही तरीका

बांस की रोपाई के लिए जून से जुलाई के बीच का समय सही होता है. बांस के पौधों की रोपाई के लिए बांस के कलमों की जरूरत होती है. बता दें कि प्रति एकड़ जमीन पर करीब 400 पौधों की जरूरत होती है. बांस की खेती के लिए सबसे पहले जमीन पर 60 सेमी लंबे, 60 सेमी चौड़े और 60 सेमी गहरे गड्ढे बना लें . इन गड्ढों में 10 से 15 किलोग्राम गोबर की खाद मिलाएं.

फसल कटाई का सही समय

बांसी के पौधों की रोपाई के करीब 3 से 4 साल बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. बता दें कि एक बार बांस के पौधों की रोपाई करने के बाद ये करीब 40 से 50 साल तक पैदावार देते हैं यानी ये एक लंबे समय तक चलने वाली फसल है. बात करें कटाई की तो किसान हर 1 से 2 साल में इसकी कटाई कर सकते हैं. वहीं रोपाई के पांचवें साल से इसकी फसल से किसानों को 25 से 30 ठोस बांस के डंडे मिलने लगते हैं.

बांस की खेती से कमाई

बांस की खेती के लिए प्रति एकड़ जमीन पर करीब 400 पौधों की जरूरत होती है. अगर एक पौधे की कीमत 30 रुपये है तो 400 पौधों की कुल कीमत 12 हजार रुपये होगी. जिसके बाद गड्ढा खुदाई और खाद के इस्तेमाल में 10 हजार रुपये की लागत आती है, साथ ही सिंचाई और मजदूरी में 8 हजार रुपये की लागत के हिसाब से पहले साल में बांस की खेती में औसतन 30 से 35 हजार रुपये की लागत आती है. वहीं चौथे साल से बांस की फसल से 1 लाख रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है. आगे चलकर 10 से 15 सालों बाद किसान बांस की फसल से प्रति एकड़ 15 से 25 लाख तक की कमाई कर सकते हैं.

सिंचाई का रखें खास ध्यान

बांस की खेती करते समय किसानों को इसकी फसल की सिंचाई का खास ध्यान रखना चाहिए. पौधों की रोपाई के पहले 2 साल तक नियमित रूप से फसल की सिंचाई करना बेहद जरूरी है. वहीं गर्मी के दिनों में 10 से 15 दिन में एक बार इसकी फसल को सिंचाई की जरूरत होती है. बांस की फसल में नमी बनाए रखने के लिए किसानों को मल्चिंग विधि की सलाह दी जाती है. बेहतर उत्पादन के लिए जरूरी है कि बांस की फसल को साल में 1 से 2 बार गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट दिया जाए.

कई तरह से होता है इस्तेमाल

कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बांस से होने वाले उत्पादन का इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है. बांस से मिलने वाले ठोस डंडों का इस्तेमाल लकड़ी के तौर पर तो किया ही जाता है, इसके साथ ही बांस के इस्तेमाल से अगरबत्ती, कागज के उत्पाद, फर्नीचर, जैविक ईंधन और हाथ से बनाने वाली कला कृतियों को बनाने में होता है. बांस से बने उत्पादों की मांग बाजार में भी रहती है. व्यावसायित तौर पर बांस का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है. बाजार में बांस की अच्छी मांग और अच्छी कमाई होने के चलते आज के समय में किसानों के बीच इसकी खेती का क्रेज बढ़ता जा रहा है.

बांस की खेती के फायदे

बांस की खेती करना किसानों के लिए कई तरीकों से फायदेमंद है. इसकी खेती का सबसे बड़ा फायदा है कि किसानों को ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता है, साथ ही बांस की फसल एक लो मेंटिनेंस फसल है यानी इसको कम देखभाल की जरूरत होती है. इसकी खेती पर्यावरण के अनुकूल होती है और लंबे समय तक किसानों को कमाई देती है. साल दर साल किसानों को बांस की फसल से होने वाली कमाई में बढ़ोतरी ही होती है. इसके अलावा इसके बहुत से इस्तेमाल हैं जिसके कारण बांस की खेती करने वाले किसानों को अच्छा बाजार भी मिलता है.

Published: 7 Jul, 2025 | 06:48 PM