इलायची को मसालों की रानी कहा जाता है, जो स्वाद ही नहीं सेहत भी देती है. बाजार से खरीदने के बजाय अगर आप इसे घर में उगाना चाहें तो यह पूरी तरह संभव है, बस कुछ बातें जानना जरूरी है.
इलायची के पौधे की शुरुआत बीज से होती है, लेकिन ध्यान रहे कि बाजार में बिकने वाली सूखी इलायची के बीज अंकुरित नहीं होते. आपको ताजे और ऑर्गेनिक बीज लेने चाहिए, जो खासतौर पर रोपण के लिए उपलब्ध होते हैं. यही आपकी खेती की पहली और सबसे अहम सीढ़ी है.
बीजों को पानी में भिगोने से उनमें जीवन लौटता है और अंकुरण की प्रक्रिया तेज होती है. इन्हें फिर नमी वाली मिट्टी में हल्के से दबाकर गमले में लगाएं, गहराई ज्यादा न रखें. गमला ऐसी जगह रखें जहाँ सीधी धूप न पड़े.
इलायची को नमी वाली और जैविक खाद मिली मिट्टी पसंद होती है. आप मिट्टी में गोबर की खाद, नारियल के रेशे और पत्तियों का खाद मिलाकर इसकी उर्वरता बढ़ा सकते हैं. यह पौधे को लंबे समय तक पोषण देता है और जलनिकासी का ध्यान भी रखता है.
इलायची का पौधा नमी में पनपता है, लेकिन ज्यादा पानी उसे नुकसान पहुंचा सकता है. मिट्टी को हमेशा थोड़ा नम रखें. साथ ही, पत्तियों पर हल्का पानी स्प्रे करते रहें ताकि वातावरण की नमी बनी रहे.
इलायची का पौधा तेज धूप में नहीं टिक पाता. इसे ऐसी जगह रखें जहां सिर्फ सुबह की हल्की धूप आए या छांव हो. पौधे को हवा भी मिलनी चाहिए लेकिन ठंडी हवा या पाला इससे बचाना होगा.
इलायची के बीज अंकुरित होने में 30-40 दिन और पौधे से फल यानी फली निकलने में लगभग 2-3 साल का समय लगता है. जब फली पक जाए, तो उसे तोड़कर अच्छी तरह सुखाकर स्टोर करें. यही वो वक्त होता है जब आपकी मेहनत मीठे और सुगंधित फल देती है.