ट्रंप के टैरिफ पर रूस ने दिया मुंहतोड़ जवाब, कहा- भारतीय सामान अमेरिका नहीं जा सके, तो रूस भेजो

अमेरिका ने भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए कुल 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है. इससे पहले भी कई उत्पादों पर 10-15 फीसदी शुल्क था. अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि भारत का रूस से तेल खरीदना रूस-यूक्रेन युद्ध के वित्तपोषण में मदद कर रहा है.

नई दिल्ली | Published: 20 Aug, 2025 | 05:14 PM

भारत और रूस के बीच व्यापारिक रिश्ते इस समय नई ऊंचाइयों पर हैं. इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नई दिल्ली में मुलाकात करेंगे. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच भुगतान प्रणाली को आसान बनाना, व्यापारिक बाधाओं को कम करना और निवेश को बढ़ावा देना है. वैश्विक आर्थिक संकट, अमेरिका के टैरिफ और ऊर्जा संकट के बीच यह कदम दोनों देशों के लिए बहुत अहम माना जा रहा है.

अमेरिका के टैरिफ और उनकी चुनौती

अमेरिका ने भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए कुल 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है. इससे पहले भी कई उत्पादों पर 10-15 फीसदी शुल्क था. अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि भारत का रूस से तेल खरीदना रूस-यूक्रेन युद्ध के वित्तपोषण में मदद कर रहा है. रूस की दूतावास ने इसेअन्यायपूर्णऔरडबल स्टैंडर्डकरार दिया है. उन्होंने कहा कि अगर भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में नहीं जा सकते, तो वे उसे रूस भेज सकते हैं. यह बयान भारत और रूस के मजबूत आर्थिक संबंधों का संकेत भी देता है.

भारत के तेल आयात और रणनीति

भारतीय सरकारी तेल कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम सितंबर और अक्टूबर में रूसी तेल की खरीद फिर से शुरू कर रही हैं. रूसी उरल्स क्रूड पर मिलने वाले डिस्काउंट और प्रतिस्पर्धी कीमतें भारतीय रिफाइनरों के लिए फायदेमंद साबित हो रही हैं. IOC ने अब रूसी तेल में वेरांडे और साइबेरियन लाइट ग्रेड्स को भी शामिल किया है. यह कदम भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में मदद कर रहा है.

व्यापारिक सहयोग और आसान लेन-देन

रूस ने यह भी कहा है कि दोनों देशों के बीच व्यापार को सुचारू बनाने के लिए भुगतान प्रणाली में सुधार किया जा रहा है. इससे व्यापारिक लेन-देन तेज और आसान होंगे. दोनों देशों के अधिकारियों ने भरोसा जताया कि कठिन परिस्थितियों में भी दोनों देश मिलकर काम कर सकते हैं.

रूस से तेल आयात जारी

अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और अन्य आर्थिक दबावों के बावजूद भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखने का निर्णय लिया है. यह भारत कोकेवल ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाता है बल्कि वैश्विक व्यापार में नए विकल्प भी खोलता है. रूस के लिए भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार है और यह दोनों देशों के रणनीतिक हितों के लिए फायदेमंद है.

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की बैठक व्यापारिक बाधाओं को कम करने, निवेश को बढ़ावा देने और ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने में मदद करेगी. दोनों देश रक्षा, तकनीकी और आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं. इस कदम से भारत और रूस के संबंध और भी सुदृढ़ होंगे और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में दोनों देशों को मदद मिलेगी.