भारत में कपास का नया सीजन शुरू होते ही बाजार में हलचल बढ़ गई है. कभी दुनिया का बड़ा कपास उत्पादक और निर्यातक रहा भारत आज बढ़ते आयात के कारण चर्चा में है. किसानों से लेकर मिल मालिकों तक, हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि देश को रिकॉर्ड मात्रा में कपास विदेश से मंगानी पड़ रही है. तो चलिए जानते हैं कि आंकड़े क्या कहते हैं, उत्पादन की स्थिति क्या है और उद्योग किन चुनौतियों से जूझ रहा है.
क्यों बढ़ रहा है कपास का आयात?
businessline की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2025–26 के कपास सीजन में भारत को लगभग 50 लाख गांठ कपास आयात करनी पड़ सकती है. यह अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी मात्रा होगी. पिछले साल यानी 2024–25 में भारत ने 41 लाख गांठ आयात की थी. इस बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह है दिसंबर 2025 तक आयात पर लगने वाला शून्य शुल्क. जैसे ही यह छूट लागू हुई, शुरुआती महीनों में आयात तेजी से बढ़ा. केवल नवंबर तक ही 18 लाख गांठ आयात हो चुकी है, जबकि पिछले साल इसी समय यह मात्रा 8.8 लाख गांठ थी.
उत्पादन बढ़ा, लेकिन खपत घटी
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) ने नए आकलन में बताया है कि इस बार देश में कपास उत्पादन पहले अनुमान से थोड़ा अधिक रहेगा. नया अनुमान 309.50 लाख गांठ का है, जबकि पहले 305 लाख गांठ माना गया था.
लेकिन बड़ी चिंता घटती घरेलू मांग की है. मिलें कपास की खरीद कम कर रही हैं, जिसके चलते उपभोग घटकर 295 लाख गांठ पर आने का अनुमान है. पिछले साल की तुलना में यह लगभग 19 लाख गांठ कम है. उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों, टैक्स से जुड़े मुद्दों और मिलों की कमजोर मांग ने खपत पर असर डाला है.
कौन से राज्यों में बढ़ा उत्पादन?
कपास उत्पादन में इस बार कुछ राज्यों में खासा सुधार देखने को मिला है. गुजरात में तीन लाख गांठ की बढ़ोतरी के साथ उत्पादन 75 लाख गांठ तक पहुंच सकता है. वहीं महाराष्ट्र में 91 लाख गांठ का अनुमान है, जबकि कर्नाटक में भी मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है. दूसरी ओर, तेलंगाना में उत्पादन घटा है. यहां 2.5 लाख गांठ की कमी के साथ अनुमान 40.5 लाख गांठ पर पहुंच गया है.
देश में उपलब्ध कपास का कुल हिसाब
CAI के अनुसार, नवंबर 2025 तक देश में कपास की कुल उपलब्धता 148.37 लाख गांठ रही. इसमें ओपनिंग स्टॉक, उत्पादन और आयात शामिल थे. नवंबर महीने में 48.40 लाख गांठ की घरेलू खपत और 3 लाख गांठ के निर्यात के बाद देश के पास लगभग 97 लाख गांठ का स्टॉक बचा.
इस स्टॉक का बड़ा हिस्सा मिलों के पास रखा है, जबकि बाकी CCI, जिंनर्स, ट्रेडर्स और मल्टीनेशनल कंपनियों के हाथ में है. पूरा सीजन मिलाकर 2025–26 में देश में कुल उपलब्धता 420.09 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है.
निर्यात में स्थिरता, सरकारी अनुमान कम
CAI ने इस बार भी कपास निर्यात का अनुमान 18 लाख गांठ पर स्थिर रखा है. हालांकि कृषि मंत्रालय के शुरुआती अनुमान CAI से कम हैं. मंत्रालय के अनुसार उत्पादन लगभग 292.15 लाख गांठ रहने की संभावना है, जो CAI के अनुमान से काफी नीचे है. इस अंतर की वजह मौसम, रिपोर्टिंग के तरीके और फील्ड डेटा में भिन्नता मानी जा रही है.
मांग कब बढ़ेगी?
कपास उद्योग इस समय एक तरह की दुविधा में है. मिलों की मांग कम है, आयात फिलहाल सस्ता है, लेकिन दिसंबर के बाद शुल्क बढ़ने की स्थिति में आयात महंगा हो सकता है.
दूसरी ओर चीन, पाकिस्तान और ब्राज़ील जैसे देशों से भी प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है. यदि घरेलू खपत में तेजी नहीं आई तो भारत को उत्पादन बढ़ने के बावजूद आयात पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ सकता है.
भारत में कपास की स्थिति अभी बदलते हालात में है. आयात बढ़ रहा है, खपत घट रही है, और कीमतों में उतार–चढ़ाव से किसान और उद्योग दोनों प्रभावित हो रहे हैं. अगले कुछ महीनों में बाजार का रुझान तय करेगा कि कपास उद्योग किस दिशा में आगे बढ़ेगा.