Maharashtra Cotton Farmers: महाराष्ट्र के कपास किसानों को नुकसान हो रहा है. किसान अधिकार संरक्षण परिषद, किसान भारती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) को महाराष्ट्र और आसपास के राज्यों के किसानों के लिए कॉटन खरीद नियम वापस लेने का निर्देश दें. किसान भारती के अध्यक्ष बैरिस्टर विनोद तिवारी ने कहा कि CCI ने हाल ही में खरीफ सीजन के बाद फसल सर्वेक्षण के आधार पर खरीदी सीमा को 13 क्विंटल प्रति एकड़ से घटाकर सिर्फ 7 क्विंटल प्रति एकड़ कर दिया है. इससे महाराष्ट्र और तेलंगाना के लाखों कपास किसानों की परेशानी बढ़ गई है.
उन्होंने कहा कि इस अचानक घटाई गई सीमा के कारण किसान अपनी लगभग 80 फीसदी फसल निजी व्यापारियों को बहुत कम दाम में बेचने को मजबूर हैं. किसानों को अब अपनी कपास लगभग 6500 रुपये रुपये क्विंटल या उससे भी कम कीमत पर बेचनी पड़ रही है, जो MSP 8110 रुपये प्रति क्विंटल से लगभग 25 फीसदी कम है. सबसे ज्यादा प्रभावित वे किसान हैं जो एकड़ में 5 क्विंटल से अधिक कपास उगाते हैं. CCI की नई सीमा के कारण वे अपनी पूरी फसल CCI को नहीं बेच पाते और मजबूरी में इसे निजी व्यापारियों को बेहद कम कीमत पर बेचने को मजबूर हैं, जो MSP से काफी कम है.
नमी की सख्त शर्तें किसानों के लिए मुश्किल
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा, CCI की 8-12 फीसदी नमी की सख्त शर्तें किसानों के लिए मुश्किल बन गई हैं. धुंध, बारी-बारी से बारिश और सर्दियों में तापमान गिरने के कारण कपास में प्राकृतिक नमी ज्यादा रहती है. खुले में सुखाने के बावजूद भी किसानों की फसल में नमी 20 फीसदी या उससे अधिक रहती है और CCI केंद्रों पर उनकी फसल रिजेक्ट कर दी जाती है.
यवतमाल जिले में 236,752 किसानों ने कपास की खेती
किसान भारती के अनुसार, सिर्फ यवतमाल जिले में 236,752 किसानों ने 825,932 एकड़ में कपास की खेती की, जिससे लगभग 33 लाख क्विंटल कपास उत्पादन हुआ. इस बड़ी फसल में से CCI ने केवल 7,921 क्विंटल कपास खरीदी है, जबकि निजी व्यापारी लगभग 1,15,000 क्विंटल कपास कम कीमत पर खरीदे हैं. इससे सरकार की घोषणाओं और जमीन पर हालात में भारी अंतर दिखता है. किसानों का कहना है कि CCI के कठिन नियम उन्हें सीधे निजी व्यापारियों के जाल में डाल रहे हैं, जो फसल को सस्ती कीमत पर खरीदने के लिए कड़ी बार्गेनिंग करते हैं.
27 खरीद केंद्रों में से केवल कुछ ही काम कर रहे हैं
CPFR-किसान भारती के अनुसार, CCI द्वारा घोषित 27 खरीद केंद्रों में से केवल कुछ ही काम कर रहे हैं, जिससे लंबी कतारें, बढ़े हुए परिवहन खर्च और किसानों के लिए लॉजिस्टिक परेशानी पैदा हो रही है. किसान संगठन की मांग है कि प्रति एकड़ खरीद सीमा कम से कम 12 क्विंटल की जाए, नमी सीमा को प्राकृतिक हालात के कारण 22 फीसदी तक बढ़ाया जाए और ज्यादा खरीद केंद्र खोले जाएं, ताकि प्रक्रिया तेज हो सके.