cotton Mandi Rate: आंध्र प्रदेश के कपास किसान 10 दिसंबर को गुंटूर स्थित कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करेंगे. उनकी मांग है कि सरकार द्वारा तय एमएसपी पर तुरंत कपास की खरीद शुरू की जाए. CPI से जुड़ा किसान संगठन AIKES इस प्रदर्शन का आयोजन कर रहा है. किसानों का कहना है कि इस खरीफ सीजन में चक्रवात, भारी बारिश, बाढ़, सूखा और कीट हमलों के कारण उन्हें भारी नुकसान हुआ है. जहां प्रति एकड़ 10 क्विंटल उपज की उम्मीद थी, वहां उत्पादन सिर्फ 3 से 4 क्विंटल रह गया. कपास की फलियां खराब हो गईं और फाइबर का रंग भी बिगड़ गया. वहीं, मार्केट में किसानों को एमएसपी से 3000 रुपये कम कपास का रेट मिल रहा है.
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए खरीद केंद्र भी किसानों के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं. नमी अधिक होने का हवाला देकर खरीद से रोका जा रहा है और कई तरह की पाबंदियां लगाई जा रही हैं. मजबूरी में किसान अपनी कपास 5,000 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल में निजी व्यापारियों को बेच रहे हैं, जबकि एमएसपी 8,110 रुपये तय है. यानी किसान एमएसपी से 3000 रुपये क्विंटल कम रेट पर कपास बेच रहे हैं.
3,000 रुपये क्विंटल बोनस देने की उठी मांग
किसान संगठन ने CCI के नियमों में ढील, फसल की एमएसपी पर तुरंत खरीद, इनपुट सब्सिडी और फसल बीमा, डॉ. एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों का पालन, MSP बढ़ाकर 12,000 रुपये, कृषि इनपुट पर GST माफी, सरकारी परिवहन, सभी कपास उत्पादन क्षेत्रों में खरीद केंद्र, CCI गोदामों में रखी 2.5 लाख बोरियों की बिक्री और प्रति क्विंटल 3,000 रुपये का बोनस देने की मांग की है. संगठन ने सभी प्रभावित किसानों से अपील की है कि वे प्रदर्शन में भाग लेकर इसे सफल बनाएं.
कपास किसानों को मिल रहा 5,000 रुपये क्विंटल रेट
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी कपास किसानों को नुकसान हो रहा है. ऐसे में सयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कहा है कि मीडियम स्टेपल कॉटन का एमएसपी 7,710 रुपये प्रति क्विंटल देशभर के किसानों को नहीं मिल रहा है. उनके मुताबिक, पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में निजी व्यापारी किसानों को सिर्फ 5,000 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल ही दे रहे हैं.
C2 + 50 फीसदी फॉर्मूला लागू करने की मांग
SKM ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने अमेरिका के दबाव में 11 फीसदी आयात शुल्क खत्म कर दिया, जिससे कपास का शून्य शुल्क पर आयात शुरू हो गया. इसका सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ा और कपास के दाम गिर गए. SKM ने दोबारा मांग उठाई कि सरकार C2 + 50 फीसदी फॉर्मूला लागू करे और सभी फसलों की गारंटीड खरीद सुनिश्चित करे, ताकि किसानों और खेत मजदूरों को मार्केटिंग और वैल्यू ऐडिशन से होने वाला लाभ भी मिल सके.