गर्मियों का मौसम हो और आम की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है. वैसे तो भारत में जब भी आमों की बात होती है तो अल्फांसो और दशहरी जैसे नाम तो आपने बहुत सुने होंगे लेकिन क्या आपने गिर केसर आम का नाम सुना है. यह अपने सुनहरे रंग, अनोखे स्वाद और लाजवाब सुगंध की के लिए जाना जाता है. इसके साथ ही आम की इस किस्म को 2011 में ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशन’ यानी GI टैग भी मिल चुका है. जिस कारण इस आम की मांग देश विदेशों में भी अधिक बढ़ रही है. इस टैग की खासियत यह है कि अब गुजरात के गिर इलाकों में उगाए गए आम ही ‘गिर केसर’ नाम से बेचे जा सकते हैं. तो आइए जानता हैं केसर आम की कुछ खास बातों के बारे में.
1931 से शुरू हुआ सफर
गिर केसर आम की शुरुआत 1931 में हुई थी, जब जुनागढ़ के वंजीर साले भाई ने वंथली इलाके में पहली केसर आम की कलमें लगाई थीं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन कलमों में से 75 कलमें गिरनार की ढलानों पर स्थित लाल डोरी फॉर्म में विकसित की गई है. 1934 में जुनागढ़ के नवाब मोहम्मद महाबत खान तृतीय ने जब इस आम को देखा, तो इस आम के केसरिया रंग से काफी प्रभावित हुए. तब से आम की इस किस्म को केसर आम के नाम से जाना जाने लगा.
कहां और कैसे होती है खेती?
गिर केसर आम की खेती मुख्य रूप से गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के जूनागढ़ और अमरेली जिलों में होती है. यहां लगभग 20,000 हेक्टेयर जमीन पर इसकी खेती की जाती है. जिससे हर साल करीब दो लाख टन केसर आम का उत्पादन होता है. हालांकि, केवल गिर अभयारण्य के आसपास के इलाके में उगाए गए आमों को ही ‘गिर केसर’ का दर्जा मिलता है. आम की इस किस्म की खेती अक्टूबर में मानसून के बाद शुरू होती है और अप्रैल से मई के बीच आम का यह फल बाजार के लिए तैयार हो जाता हैं. इस आम खेती को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है. इसी कारण यह आम कम मेहनत में अधिक मुनाफे वाले फसलों में एक मानी जाती है.
स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी
केसर आम न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होता है, बल्कि सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती है. इसमें विटामिन A, C, E और B6 जैसे जरूरी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जो इम्युनिटी को बढ़ाते हैं, त्वचा के लिए अच्छे होते हैं और शरीर के बाकी पोषक तत्वों को भी बढ़ने में मदद करता है.
GI टैग और बढ़ती पहचान
गिर केसर को GI टैग दिलाने की शुरुआत गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (GAIC) ने की थी. 2010 में जूनागढ़ एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी ने इसका आवेदन किया और साल 2011 में चेन्नई के GI रजिस्ट्री ऑफिस से इसे मंजूरी दे दी गई थी. वहीं इस GI टैग मिलने से ‘गिर केसर’ को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली और इसकी मांगे देश विदेशों में भी अधिक बढ़ गई है.
इसके साथ ही बता दें कि तलाला गिर आम मंडी ‘गिर केसर’ के व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है. इस मंडी सिर्फ गुजरात के ही नहीं बल्कि देश और विदेशों के खरीदारों को भी अपनी ओर खिचता है. क्योंकि यहां केसर आम की अच्छी क्वालिटी की भरमार होती है, इसी कारण इस मंडी में व्यापारियों की भीड़ साल दर साल बढ़ती जा रही है. वहीं बोरवाव, गुजरात में एक मंडी है जिसका प्लस कोड 3GFV+9P है. यह कोड इस मंडी को आसानी से खोजने में मदद करता है.