अब देश की खेती में भी तकनीक का बड़ा साथ मिलने जा रहा है. पंजाब के रोपड़ स्थित आईआईटी (IIT Ropar) को केंद्र सरकार की ओर से ₹311 करोड़ की बड़ी परियोजना मिली है. इस फंड का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित तकनीकों को विकसित करने के लिए किया जाएगा. इस खास प्रोजेक्ट के तहत एक “Centre of Excellence” यानी उत्कृष्टता केंद्र बनाया जाएगा, जो किसानों को स्मार्ट और डेटा-आधारित खेती में मदद करेगा.
तकनीक अब खेत तक
ट्रिब्यून इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार IIT रोपड़ के निदेशक प्रोफेसर राजीव आहूजा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का मकसद है कि AI से जुड़े नवाचारों को सीधे किसानों तक पहुंचाया जाए. इससे किसान अपने खेत, फसल और पशुओं की देखभाल आधुनिक तरीके से कर सकेंगे और नुकसान को कम कर पाएंगे.
पहले से बन चुकी हैं कई स्मार्ट तकनीकें
IT रोपड़ ने खेती और पशुपालन को वैज्ञानिक और स्मार्ट बनाने की दिशा में पहले से कई AI आधारित तकनीकें विकसित की हैं, जो जमीन पर किसानों की मदद कर रही हैं:
1. डिजिटल बी-सेंस टेक्नोलॉजी
यह एक अनोखी तकनीक है जो मधुमक्खियों की सेहत और गतिविधियों पर नजर रखती है. इसमें AI-सेंसर लगे होते हैं जो मधुमक्खी के छत्ते में तापमान, आवाज, कंपन और अन्य संकेतों को मापते हैं. इससे पता चलता है कि मधुमक्खियां स्वस्थ हैं या नहीं.
2. स्मार्ट टैग फॉर पशुधन
यह एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक टैग है जिसे गाय, भैंस या अन्य पशुओं के कान में लगाया जा सकता है. इसमें लगे सेंसर जानवर की बॉडी टेम्परेचर, मूवमेंट और हार्टबीट जैसी चीजों को मापते हैं. जैसे ही कोई असामान्यता होती है, किसान के मोबाइल पर तुरंत अलर्ट जाता है. इससे किसान समय रहते इलाज करवा सकते हैं और पशु की हालत बिगड़ने से पहले बचाव कर सकते हैं.
3. प्रेसिशन फार्मिंग के लिए AI टूल
यह तकनीक खेती में नाइट्रोजन और उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल में मदद करती है. सेंसर और AI-डेटा की मदद से यह सिस्टम बताता है कि खेत के किस हिस्से में कितनी खाद की जरूरत है. इससे किसान अनावश्यक उर्वरक डालने से बचते हैं और खर्च में कमी व मिट्टी की सेहत दोनों सुरक्षित रहती हैं.
आ रहा है फसल पूर्वानुमान सिस्टम
IIT रोपड़ अब एक AI-आधारित फसल उत्पादन पूर्वानुमान प्रणाली पर भी काम कर रहा है. यह सैटेलाइट, मिट्टी और मौसम के आंकड़ों की मदद से जिले स्तर पर फसल का अंदाजा पहले ही लगा लेगा. इससे किसान बेहतर कटाई योजना बना पाएंगे और नुकसान को कम कर सकेंगे.
फसल पहचान तकनीक भी होगी तैयार
एक और बड़ी पहल में, एक क्रॉप क्लासिफिकेशन (फसल पहचान) तकनीक भी तैयार की जा रही है, जो यह बताएगी कि किस क्षेत्र में कौन-सी फसल कितनी मात्रा में लगाई गई है. इससे सरकार और किसान दोनों को बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी.
50,000 किसानों तक पहुंचेगा लाभ
इस पूरी योजना का लक्ष्य है कि कम से कम 50,000 किसान सीधे इन तकनीकों से जुड़ सकें. इससे खेती अधिक लाभदायक, टिकाऊ और आधुनिक बन सकेगी.