Lumpy Virus Disease: गांवों की गलियों में फिर चिंता की लहर दौड़ गई है. गाय और भैंस के शरीर पर उठे फफोले, सूजी हुई चमड़ी और कम हुआ दूध उत्पादन- ये सब लंपी वायरस के लक्षण हैं. पिछले कुछ समय में इस बीमारी ने हजारों पशुओं को प्रभावित किया था, लेकिन अगर किसान और पशुपालक थोड़ी सावधानी बरतें तो इस खतरे से बचाव बिल्कुल संभव है. आइए जानते हैं, कैसे अपने पशुओं को सुरक्षित रखा जा सकता है.
क्या है लंपी वायरस और कैसे फैलता है?
मध्य प्रदेश सरकार के अनुसार लंपी स्किन डिजीज (LSD) एक संक्रामक बीमारी है, जो मुख्य रूप से गाय और भैंसों में पाई जाती है. यह वायरस मच्छर, मक्खी और अन्य कीड़ों के जरिए एक पशु से दूसरे में फैलता है. बीमारी के शुरुआती लक्षणों में बुखार, भूख कम लगना, दूध की मात्रा घट जाना और त्वचा पर गोल फोड़े निकलना शामिल हैं. अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो पशु की जान भी जा सकती है.
साफ-सफाई है सबसे बड़ा बचाव
लंपी वायरस से बचाव के लिए पशुशाला की स्वच्छता बहुत जरूरी है. पशुओं के रहने की जगह रोज साफ करें, गंदे पानी या कचरे को वहां जमा न होने दें. सप्ताह में कम से कम दो बार बाड़े में कीटाणुनाशक दवा (जैसे ब्लीचिंग पाउडर या फिनाइल) का छिड़काव करें. अगर कोई पशु संक्रमित हो जाए, तो उसे तुरंत बाकी पशुओं से अलग रखें. संक्रमित पशुओं की देखभाल करते समय दस्ताने और मास्क का इस्तेमाल करें.
संक्रमित क्षेत्रों से पशु लाना-ले जाना बंद करें
लंपी वायरस बहुत तेजी से फैलता है, इसलिए अगर किसी इलाके में संक्रमण फैला हुआ है, तो वहां से पशु खरीदने या अपने पशु वहां भेजने से बचें. सरकार और पशुपालन विभाग ने भी सलाह दी है कि जब तक किसी क्षेत्र में बीमारी पूरी तरह खत्म न हो जाए, तब तक पशु मेलों, खरीद-फरोख्त या प्रदर्शनियों का आयोजन न करें. इससे बीमारी के फैलने की संभावना कम हो जाती है.
समय पर टीकाकरण करवाना है जरूरी

Lumpy Virus
जैसे मनुष्यों को वायरस से बचाने के लिए वैक्सीन दी जाती है, वैसे ही पशुओं के लिए भी टीकाकरण बहुत जरूरी होता है. मध्यप्रदेश पशुपालन विभाग ने हर जिले में लंपी रोग से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान चलाया है. पशुपालकों को अपने नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क कर सभी गाय-भैंसों का टीका समय पर लगवाना चाहिए. टीकाकरण करवाने से पशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और संक्रमण का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.
लक्षण दिखते ही पशु चिकित्सक से करें संपर्क
अगर आपके किसी पशु में बुखार, भूख न लगना, शरीर पर सूजन या फोड़े जैसे लक्षण दिखें, तो देरी न करें. तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल या पशु चिकित्सक से सलाह लें.
कई बार लोग घरेलू नुस्खों से इलाज करने लगते हैं, जिससे हालत बिगड़ सकती है. सही समय पर इलाज करवाने से न सिर्फ पशु की जान बचाई जा सकती है, बल्कि बाकी पशुओं को भी सुरक्षित रखा जा सकता है.
पशुपालकों के लिए जरूरी संदेश
लंपी वायरस से डरने की नहीं, सजग रहने की जरूरत है. स्वच्छता, सावधानी और टीकाकरण ही इस बीमारी से बचाव के सबसे बड़े हथियार हैं. सरकार भी पशुपालकों के लिए लगातार जागरूकता अभियान चला रही है, ताकि बीमारी का प्रकोप न बढ़े. यदि हर किसान अपने पशुओं की देखभाल को जिम्मेदारी से निभाए, तो लंपी जैसी बीमारियां कभी नुकसान नहीं पहुंचा सकतीं. स्वस्थ पशु ही किसान की सबसे बड़ी पूंजी हैं- इन्हें बचाना हमारी जिम्मेदारी है.