गाय-भैंस का दूध अचानक कम हो जाए तो सावधान! कारण हो सकती है ये खतरनाक बीमारी, तुरंत करें इलाज

गाय-भैंस का दूध कम होना सामान्य नहीं, यह फुट एंड माउथ डिजीज का संकेत हो सकता है. समय पर पहचान, वैक्सीनेशन और साफ-सफाई से पशुओं को इस गंभीर बीमारी से बचाया जा सकता है. लापरवाही न करें.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 11 Sep, 2025 | 11:49 AM

Animal Care: अगर आप गाय-भैंस पालते हैं और अचानक उनके दूध देने की मात्रा कम हो गई है, तो यह सिर्फ खानपान या मौसम का असर नहीं हो सकता. हो सकता है कि आपके पशु किसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ गए हों. हाल के दिनों में एक बीमारी तेजी से फैल रही है, जिसका नाम है एफएमडी (फुट एंड माउथ डिजीज). इस बीमारी के कारण पशु न केवल कम दूध देने लगते हैं, बल्कि समय पर इलाज न हो तो उनकी जान पर भी बन सकती है. आइए जानते हैं एफएमडी के लक्षण, बचाव और इलाज से जुड़ी जरूरी बातें…

दूध कम होना हो सकता है बीमारी का पहला संकेत

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अक्सर देखा गया है कि जैसे ही गाय या भैंस एफएमडी की चपेट में आती हैं, सबसे पहले उनका दूध अचानक कम हो जाता है. बहुत से पशुपालक इसे मौसम या चारे से जोड़ते हैं, लेकिन असल वजह बीमारी भी हो सकती है. दूध कम होना एक तरह से अलार्म है जो बताता है कि आपके पशु की तबीयत ठीक नहीं है.

एफएमडी क्या है और कैसे फैलती है?

एफएमडी यानी फुट एंड माउथ डिजीज एक वायरल बीमारी है जो गाय, भैंस, बकरी और अन्य खुर वाले जानवरों में फैलती है. यह बीमारी खासतौर पर ठंड और बरसात के मौसम में ज्यादा फैलती है. इसका वायरस पशुओं के मुंह और पैरों पर असर डालता है, जिससे वे चलने में तकलीफ महसूस करते हैं और खाना-पीना भी बंद कर देते हैं. यह बीमारी एक पशु से दूसरे में बहुत तेजी से फैल सकती है. संक्रमित जानवर की लार, मूत्र, गोबर और सांस के जरिए यह बीमारी दूसरे जानवरों में पहुंच जाती है.

बीमारी के लक्षण: इन संकेतों को नजरअंदाज न करें

एफएमडी के कुछ लक्षण बहुत साफ दिखाई देते हैं:-

  • मुंह से लगातार लार टपकना
  • पैरों में घाव या सूजन, खुरों में दरारें
  • बार-बार पैर उठाना या चलने में परेशानी
  • चारा या खाना खाने में दिक्कत
  • बुखार और शरीर में कमजोरी

अगर आपके पशु में ये लक्षण दिखें, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें. बीमारी को नजरअंदाज करना भारी नुकसान पहुंचा सकता है.

बचाव ही सबसे बेहतर इलाज

एफएमडी का इलाज संभव है, लेकिन बचाव ही सबसे अच्छा तरीका है. इसके लिए कुछ जरूरी सावधानियां बरतें:-

  • समय-समय पर टीकाकरण (वैक्सीनेशन) जरूर कराएं
  • पशुओं को साफ-सुथरी और सूखी जगह पर रखें
  • बीमार पशु को तुरंत अलग कर दें ताकि बीमारी फैलने न पाए
  • पशुशाला में स्वच्छता बनाए रखें
  • बरसात और सर्दी के मौसम में खासतौर पर सतर्क रहें

हर छह महीने में एफएमडी का टीका लगवाना जरूरी है, ताकि पशु इस वायरस से सुरक्षित रह सकें.

बीमारी को हल्के में लेना पड़ सकता है भारी

दूध कम होना सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं है, बल्कि यह इस बात का संकेत है कि आपका पशु अंदर से बीमार है. अगर समय रहते ध्यान न दिया गया तो स्थिति बिगड़ सकती है. कई बार तो पशु चलने-फिरने में पूरी तरह अक्षम हो जाते हैं या जान भी गंवा बैठते हैं. यही वजह है कि एफएमडी जैसे लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज शुरू कराएं. अगर आप सतर्क रहेंगे, तो आपके पशु स्वस्थ रहेंगे और दूध उत्पादन  भी सामान्य बना रहेगा.

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Published: 11 Sep, 2025 | 11:47 AM

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