इन राज्यों में शीतलहर का प्रकोप, किसान तुरंत करें गेहूं की सिंचाई.. इस मात्रा में डाले खाद

खरपतवार नियंत्रण के लिए सबसे सही समय बोआई के 30-35 दिन बाद होता है. पहली सिंचाई के बाद सल्फोसल्फयुरॉन 33 ग्राम और मेटसल्फयुरॉन 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर को 500 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें.

Kisan India
नोएडा | Published: 14 Dec, 2025 | 12:21 PM

Wheat Farming: बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा सहित लगभग पूरे उत्तर-पूर्व भारत के राज्यों में कड़ाके की सर्दी शुरू हो गई है. शीतलहर के साथ-साथ कोहरे का भी असर देखने को मिल रहा है. इससे इंसान के साथ-साथ पशुओं पर असर पर रहा है. लेकिन कोहरे और शीतलहर से सबसे ज्यादा नुकसान रबी फसलों को पहुंच सकता है. ऐसे में मौसमीय वेधशाला पूसा ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. उसने कहा है कि पाला, शीतलहर और कोहरे से फसल को बचाने के लिए किसानों खास सावधानी बतने की जरूरत है. साथ ही फसल की अच्छी तरह से देखरेख भी करनी चाहिए.

पहली सिंचाई के बाद करें ये काम

उसने कहा है कि गेहूं की फसल जब 21-25 दिन की हो जाए, तब हल्की सिंचाई  करें. सिंचाई के 1-2 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 30 किलो नेत्रजन उर्वरक डालें. अगर फसल में दीमक दिखाई दे, तो क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी 2 लीटर प्रति एकड़ को 20-25 किलो बालू में मिलाकर सिंचाई से पहले छिड़क दें. साथ ही खरपतवार नियंत्रण के लिए सबसे सही समय बोआई के 30-35 दिन बाद होता है. पहली सिंचाई के बाद सल्फोसल्फयुरॉन 33 ग्राम और मेटसल्फयुरॉन 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर को 500 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें. छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमी होना जरूरी है.

इन किस्म के बीजों का करें इस्तेमाल

साथ ही कहा गया है कि चना की बुआई जल्द करें. इसके लिए उन्नत किस्में  पूसा 256, केपीजी 59 (उदय), केडब्लूआर 108, पंत जी 186 और पूसा 372 अनुशंसित हैं. बीज को पहले बेबीस्टीन 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें. 24 घंटे बाद, क्लोरपायरीफॉस 8 मिली प्रति किलो बीज मिलाकर कजरा पिल्लू से बचाव करें. फिर 4-5 घंटे छाया में रखने के बाद राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बुआई करें.

 जिप्सम या बेंटोनाइट सल्फर का करें इस्तेमाल

वहीं, कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि सर्दी के मौसम में कई बार गेहूं की पत्तियां पीली  होने लगती हैं. इससे फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचता है. कई बार फसल सूख भी जाती है. इससे पैदावार पर असर पड़ता है. हालांकि एक्सपर्ट के मुताबिक, मैंगनीज की कमी पत्तियों की नसों के बीच पीला रंग और कभी-कभी ग्रे या गुलाबी धारी दिखाती है. यह हल्की मिट्टी और गेहूं-धान प्रणालियों में आम है. पहली सिंचाई के बाद मैंगनीज सल्फेट का छिड़काव मदद करता है. साधारण रूप से बालू मिट्टी में सल्फर की कमी नई पत्तियों को पीला कर देती है, जबकि पुराने पत्ते हरे रहते हैं. इसके लिए प्रति एकड़ जिप्सम या बेंटोनाइट सल्फर डालना चाहिए, लेकिन जिप्सम हमेशा सिंचाई के बाद डालें.

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