गेहूं की पत्तियां हो रही हैं पीली तो हो जाएं सावधान, मैंगनीज सल्फेट का करें छिड़काव.. ये दवा भी कारगार

पंजाब में गेहूं की पत्तियां पीली पड़ रही हैं, जिससे किसानों में चिंता बढ़ गई है. PAU के अनुसार इसका कारण पौष्टिक तत्वों की कमी, पानी की असंतुलित आपूर्ति, मिट्टी की खराब गुणवत्ता, कीट और येलो रस्ट जैसी बीमारियां हो सकती हैं. नाइट्रोजन, जिंक, मैंगनीज और सल्फर की कमी मुख्य कारण हैं.

वेंकटेश कुमार
नई दिल्ली | Published: 11 Dec, 2025 | 06:20 PM

Wheat diseases: पंजाब में गेहूं की बुवाई खत्म हो चुकी है. इसके साथ ही फसल में रोग भी पनपने लगे हैं. खासकर लुधिया में गेहूं की पत्तियां पीली पड़ रही हैं. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. क्योंकि किसानों को इस नई बीमारी की जानकारी नहीं है. ऐसे में किसान डर से कीटनाशक का छिड़काव भी नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि, PAU की सहायक प्रोफेसर (एग्रोनॉमी) प्रभजीत कौर का कहना है कि पौष्टिक तत्वों की कमी, पानी की अधिकता या कमी, मिट्टी की खराब गुणवत्ता, कीट या येलो रस्ट जैसी बीमारियों की वजह से गेहूं की पत्तियां पीली पड़ रही हैं. 

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रभजीत कौर का कहना है कि मौसम और जलवायु  भी पत्तियों को पीला कर सकती हैं. सर्दियों में अचानक तापमान गिरने या कोहरे से भी पत्तियों का रंग बदल सकता है, लेकिन यह कुछ दिनों में खुद ठीक हो जाता है. हालांकि, किसानों को मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए समय पर सिंचाई करनी चाहिए. भारी मिट्टी में पानी अधिक रहने से जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे पत्तियां पीली और सूखने लगती हैं.

मिट्टी में 25 फीसदी ज्यादा नाइट्रोजन की जरूरत

उन्होंने कहा कि ट्यूबवेल का खराब या खारा पानी भी पत्तियों को पीला कर सकता है. साथ ही पानी इस्तेमाल करने से पहले जांच करें और जरूरत हो तो जिप्सम डालें. खारे पानी को अच्छे पानी के साथ मिलाकर भी नुकसान कम किया जा सकता है. वहीं, सहायक पोषण विशेषज्ञ हरविंदर सिंह बुत्तर के अनुसार, पौष्टिक तत्वों की कमी के चलते भी गेहूं की पत्तियां पीली हो जाती हैं. उनके मुताबिक, नाइट्रोजन की कमी  आम होती है.यह सबसे पहले पुराने पत्तों में दिखती है, जो टिप से पीली पड़ती हैं. मिट्टी की जांच के अनुसार यूरिया डालकर इसे सुधारा जा सकता है. खारी या क्षारीय मिट्टी में 25 फीसदी ज्यादा नाइट्रोजन की जरूरत होती है. वहीं, जिंक की कमी से पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है, पौधे बौने हो जाते हैं और बीच के पत्ते पीले होकर सफेद धारियों वाले दिखते हैं. बचाव के लिए बुवाई के समय प्रति एकड़ 25 किलो जिंक सल्फेट डालें या वृद्धि के दौरान 0.5 फीसदी जिंक सल्फेट का छिड़काव करें.

जिप्सम हमेशा सिंचाई के बाद डालें

वहीं, मैंगनीज की कमी पत्तियों की नसों के बीच पीला रंग और कभी-कभी ग्रे या गुलाबी धारी दिखाती है. यह हल्की मिट्टी और गेहूं-धान प्रणालियों में आम है. पहली सिंचाई के बाद मैंगनीज सल्फेट का छिड़काव मदद करता है. साधारण रूप से बालू मिट्टी  में सल्फर की कमी नई पत्तियों को पीला कर देती है, जबकि पुराने पत्ते हरे रहते हैं. इसके लिए प्रति एकड़ जिप्सम या बेंटोनाइट सल्फर डालना चाहिए, लेकिन जिप्सम हमेशा सिंचाई के बाद डालें. 

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