सरकार का दावा- यूरिया और डीएपी की कोई कमी नहीं, किसानों को समय पर मिलेगी खाद

भारतीय किसानों को खाद की चिंता से राहत देने के लिए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े समझौते किए हैं. इसी क्रम में भारतीय कंपनियों के एक समूह ने मोरक्को से 2.5 मिलियन टन डीएपी की आपूर्ति सुनिश्चित की है, जिससे मौजूदा सीजन और आने वाले समय में किसानों को समय पर खाद उपलब्ध हो सके.

नई दिल्ली | Published: 23 Aug, 2025 | 08:03 AM

भारत में खेती-किसानी के लिए खाद (Fertiliser) एक अहम जरूरत है. हर सीजन में किसान सबसे ज्यादा चिंता खाद की उपलब्धता को लेकर करते हैं. खासतौर पर खरीफ के मौसम में, जब धान और मक्का जैसी फसलें बड़े पैमाने पर बोई जाती हैं, तब यूरिया और डीएपी की खपत बढ़ जाती है. इसी बीच केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि इस बार यूरिया और डीएपी की कोई कमी नहीं है और किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराई जा रही है.

यूरिया की उपलब्धता

बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार, केंद्र सरकार के अनुसार, खरीफ 2025 सीजन में 14.3 मिलियन टन यूरिया की जरूरत थी, जबकि उपलब्धता 18.3 मिलियन टन रही. इसमें से अगस्त तक लगभग 15.5 मिलियन टन यूरिया किसानों तक पहुंच चुका है. सरकार का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस बार यूरिया की खपत 1.3 मिलियन टन अधिक हुई है, फिर भी सप्लाई में कोई बाधा नहीं आई.

डीएपी और एनपीके की स्थिति

डीएपी (DAP) की मांग इस सीजन में 4.5 मिलियन टन थी, जबकि उपलब्धता 4.9 मिलियन टन रही. इसमें से 3.3 मिलियन टन पहले ही किसानों तक पहुंच चुका है.

वहीं, एनपीके (NPK) की मांग 5.8 मिलियन टन रही, लेकिन उपलब्धता 9.7 मिलियन टन तक रही. इसमें से 6.45 मिलियन टन खाद पहले ही बेची जा चुकी है. यानी सरकार ने पर्याप्त भंडार बनाकर रखा है ताकि किसानों को किसी तरह की दिक्कत न हो.

वैश्विक चुनौतियों के बीच भी सप्लाई बरकरार

  • सरकार ने यह भी बताया कि इस बार अंतरराष्ट्रीय हालातों ने खाद सप्लाई पर दबाव डाला है.
  • रेड सी संकट की वजह से जहाजों को केप ऑफ गुड होप के रास्ते भेजना पड़ा, जिससे यात्रा 6,500 किलोमीटर लंबी हो गई.
  • रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-ईरान संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद की कीमतें बढ़ा दीं.

इसके बावजूद भारत सरकार ने राजनयिक समझौतों और लंबी अवधि के करारों के जरिए किसानों तक समय पर खाद पहुंचाने का इंतजाम किया.

दीर्घकालिक समझौते

भारतीय किसानों को खाद की चिंता से राहत देने के लिए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े समझौते किए हैं. इसी क्रम में भारतीय कंपनियों के एक समूह ने मोरक्को से 2.5 मिलियन टन डीएपी की आपूर्ति सुनिश्चित की है, जिससे मौजूदा सीजन और आने वाले समय में किसानों को समय पर खाद उपलब्ध हो सके.

इसके अलावा, जुलाई 2025 में भारत और सऊदी अरब के बीच एक दीर्घकालिक समझौता (LTA) हुआ है, जिसके तहत अगले पांच साल तक हर साल 3.1 मिलियन टन डीएपी भारत को मिलेगा. ये कदम दर्शाते हैं कि सरकार लंबे समय तक किसानों की खाद की जरूरतों को सुरक्षित बनाने पर लगातार काम कर रही है.

किसानों को फायदा

इन सभी प्रयासों का सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है. पर्याप्त खाद मिलने से किसानों की लागत और मेहनत दोनों पर सकारात्मक असर पड़ेगा. धान, मक्का जैसी फसलों की बुवाई पर कोई असर नहीं होगा और उत्पादन लक्ष्य भी पूरे होने की उम्मीद है.