Farming Tips: पिछले कुछ सालोंमें देशभर में मौसम का मिजाज काफी बदल गया है. कई राज्यों में जहां कभी सूखे की समस्या रहती थी, वहीं अब सामान्य से अधिक बारिश और अचानक आने वाली बाढ़ से फसलें नष्ट होने लगी हैं. बिहार, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और असम जैसे राज्यों में हजारों किसानों की फसलें जलमग्न हो जाती हैं, मिट्टी बह जाती है और खेत महीनों तक इस्तेमाल लायक नहीं रह पाते. ऐसे समय में वाटर रिचार्जिंग सिस्टम किसानों के लिए एक सरल, सस्ती और प्रभावी तकनीक बनकर उभर रही है, जो जलभराव से बचाव के साथ-साथ जमीन की उर्वरता भी बढ़ाती है.
वाटर रिचार्जिंग सिस्टम क्या होता है?
वाटर रिचार्जिंग सिस्टम एक ऐसी कृषि तकनीक है जिसमें बारिश या बाढ़ का अतिरिक्त पानी खेत में जमा न होकर धीरे-धीरे मिट्टी के भीतर समा जाता है. इसके लिए खेत के निचले हिस्सों में गड्ढे, ट्रेंच, चौड़ी नालियां या रिचार्ज पिट बनाए जाते हैं. पानी इन गड्ढों में इकट्ठा होकर नीचे की परतों में चला जाता है. यह तकनीक पानी की निकासी और भूजल पुनर्भरण-दोनों में मदद करती है.
फसल और खेत दोनों के लिए लाभदायक तकनीक
1. फसल को जलभराव से बचाती है
ज्यादा बारिश होने पर खेत में पानी रुकने से जड़ें सड़ने लगती हैं और फसल तेजी से खराब होती है. रिचार्जिंग सिस्टम पानी को नीचे भेज देता है, जिससे खेत जल्दी सूख जाता है और फसल सुरक्षित रहती है.
2. भूजल स्तर में सुधार
हर साल लाखों लीटर बारिश का पानी बहकर नदी-नालों में चला जाता है. रिचार्जिंग सिस्टम इस पानी को धरती के भीतर भेजकर भूजल स्तर बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाता है. इससे गर्मियों में भी किसानों को पर्याप्त सिंचाई मिलती है.
3. मिट्टी कटाव और उपजाऊ परत की रक्षा
तेज बारिश से अक्सर खेत की उपजाऊ मिट्टी बह जाती है, जिससे उत्पादन कम हो जाता है. रिचार्ज पिट और नालियां पानी के बहाव को नियंत्रित करती हैं और मिट्टी कटाव को रोकती हैं.
4. कम लागत में तैयार होने वाली तकनीक
इस सिस्टम के लिए किसी महंगे उपकरण या मशीन की जरूरत नहीं होती. किसान खुद गड्ढे खोदकर या नालियां बनाकर इसे आसानी से तैयार कर सकते हैं. रखरखाव में भी खर्च बहुत कम आता है.
वाटर रिचार्जिंग सिस्टम कैसे तैयार करें?
- खेत के सबसे निचले हिस्से की पहचान करें.
- वहां 3–6 फीट गहरा गड्ढा या 2–3 फीट चौड़ी ट्रेंच बनाएं.
- इसमें मोटा बजरी और रेत की परत डालें ताकि पानी तेजी से नीचे जा सके.
- जरूरत हो तो पाइप के जरिए खेत का अतिरिक्त पानी इस पिट में डालें.
- यह पूरी प्रक्रिया सरल है और छोटे किसान भी इसे आसानी से अपना सकते हैं.
किन बातों का रखें ध्यान?
- यह सिस्टम छोटे और मध्यम स्तर पर सबसे प्रभावी है, पर बड़े पैमाने की बाढ़ को पूरी तरह रोकना संभव नहीं.
- मिट्टी की किस्म, ढलान और पानी की निकासी की दिशा को ध्यान में रखकर ही पिट बनाएं.
- किसी कृषि विशेषज्ञ, जल संरक्षण विभाग या स्थानीय पंचायत से सलाह अवश्य लें.
- जल शक्ति अभियान, मनरेगा और ग्रामीण विकास योजनाओं के तहत कई राज्यों में इसके निर्माण पर सहायता भी मिलती है.