बंजर जमीन को उपजाऊ बनाएंगे ये पौधे, दो वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया मिट्टी की सेहत सुधारने का तरीका

देशभर में लगभग 960 लाख हेक्टेयर जमीन बंजर है. अलग-अलग राज्यों में पड़ी इस बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने की कोशिशें होती रही हैं. दो वैज्ञानिकों ने किसानों को जमीन उपजाऊ बनाने का तरीका बताया है.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 17 Jul, 2025 | 09:00 PM

बंजर जमीन से कमाई करने के लिए उसका उपजाऊ होना जरूरी है. एक रिपोर्ट के अनुसार देशभर में लगभग 960 लाख हेक्टेयर जमीन बंजर है. अलग-अलग राज्यों में पड़ी इस बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए लगातार कोशिशें होती रही हैं. कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी जमीनों को काम के लायक बनाने और खेती करने लायक बनाने के लिए बागवानी, औषधीय पेड़ों का रोपण करने की सलाह दी है. हिमाचल प्रदेश के कृषि वैज्ञानिक डॉ. विपन गुलेरिया और ICAR–IISWC देहरादून केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एम. मुरुगानंदम ने किसानों को जमीन उपजाऊ बनाने के तरीके बताए हैं.

देश की 960 लाख हेक्टेयर जमीन बंजर

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR–IISWC) देहरादून केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एम. मुरुगानंदम ने बताया कि देश की मिट्टी तेज कृषि, शहरीकरण, वन कटाई और जलवायु परिवर्तन के चलते अत्यधिक दबाव में है. इसरो (ISRO) की रिपोर्ट से पता चला है कि भारत की 960 लाख हेक्टेयर भूमि खराब हो चुकी है. इतना ही नहीं हर साल 5.3 अरब टन टॉप सॉइल पानी और हवा के तेज बहाव के चलते नष्ट हो जाती है. इससे जमीन की उर्वरा शक्ति कमजोर होती जाती है.

मिट्टी के बदलावों और सुधार के लिए शोध चल रहा

वैज्ञानिक डॉ. एम. मुरुगानंदम ने कहा कि मिट्टी की सेहत बेहतर करने के लिए केमिकल फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल बंद करना होगा और इसके साथ ही बारिश के समय मिट्टी के क्षरण को रोकने की जरूरत है. मिट्टी में हो रहे बदलावों की पहचान कर सुधार के लिए उपायों को लागू करने पर शोध चल रहा है. उन्होंने कहा कि मिट्टी के स्वास्थ्य को बरकारर रखने के लिए पौधारोपण करना होगा.

बंजर जमीन पर औषधीय पौधों की खेती करें- डॉ. विपन गुलेरिया

हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा के बागवानी अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. विपन गुलेरिया ने कहा कि बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए मानसून का मौसम पौधारोपण के लिए उत्तम होता है. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, जाच्छ (नूरपुर) के सह निदेशक और वैज्ञानिक डॉ. विपन गुलेरिया ने किसानों को बंजर या कम उपजाऊ भूमि पर औषधीय पौधों की खेती करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि औषधीय और सगंधीय पौधों की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देती है. क्योंकि इसमें दवाओं का छिड़काव नहीं करना पड़ता. साथ ही, मौजूदा बरसात का मौसम पौधे लगाने के लिए सबसे उपयुक्त है.

बांस के पौधों की रोपाई बंजर जमीन को उपजाऊ बनाएगी

वैज्ञानिकों ने कहा कि बांस के पौधे विषम परिस्थितियों में भी उगने के लिए जाने जाते हैं. जहां के किसान औषधीय या बागवानी फसलों के पौधे नहीं लगा सकते हैं, वे बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए बांस के पौधों की रोपाई कर सकते हैं. बांस की रोपाई के लिए जून से जुलाई यानी मॉनसून का समय बेस्ट होता है. बांस के पौधों की रोपाई के लिए बांस के कलमों की जरूरत होती है. प्रति एकड़ जमीन पर करीब 400 पौधे लगाए जा सकते हैं. एक बार बांस के पौधों की रोपाई करने के बाद ये करीब 40 से 50 साल तक बढ़ते रहते हैं. इन्हें हर 3 साल में काटकर बेचा जा सकता है और किसान कमाई कर सकते हैं.

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Published: 17 Jul, 2025 | 07:08 PM

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