मोती की खेती से होगी तगड़ी कमाई, इन बातों का रखें ध्यान

मोती की खेती के लिए सबसे बेस्ट क्वालिटी के सीप की जरूरत होती है. इसकी खेती के लिए किसी बड़ी जगह की जरूरत नहीं है, आसानी से किसी भी तालाब या टैंक में इसकी खेती की जा सकती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 7 Jun, 2025 | 02:36 PM

देश के किसान बदलते समय के साथ पारंपरिक खेती से अलग हटकर नई-नई व्यापारिक फसलों की खेती की तरफ अपनी रुचि दिखा रहे हैं. खास बात यह है कि व्यापारिक फसलों की खेती से किसानों को तगड़ा मुनाफा भी हो रहा है और उनकी कमाई भी तेजी से बढ़ रही है. इसी कड़ी में मोती की खेती भी है, जो किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. बता दें कि मोती से कई तरह के महंगे आभूषण बनाए जाते हैं और ये अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों में बिकते हैं. तो चलिए इस खबर में आगे जान लेते हैं कि मोती की खेती करने पर वो कौन सी बातें हैं जिनका खास ध्यान रखने की जरूरत होती है.

कैसे होती है मोती की खेती

मोती की खेती के लिए सबसे बेस्ट क्वालिटी के सीप की जरूरत होती है. इसकी खेती के लिए किसी बड़ी जगह की जरूरत नहीं है, आसानी से किसी तालाब या टैंक में ही इसकी खेती की जा सकती है. बात करें खेती करने की प्रक्रिया की तो, सीप लाने के एक दो दिन बाद उसकी सर्जरी की जाती है. इसमें सीप के कवच को 2 से 3 एमएम तक खोला जाता है और उसमें न्यूक्लियस डाला जाता है. ऐसा करने के बाद सीप को करीब 1 हफ्ते तक टैंक में रखा जाता है. 2 से 3 सीप को एक नायलॉन के बैग में रखकर, तालाब में बांस या किसी पाइप के सहारे छोड़ दिया जाता है. सीप से मोती तैयार होने में 15 से 20 महीने का समय लगता है. बता दें कि कि अच्छा और बेहतर मोती तैयार होने में दो से ढाई साल का समय भी लग जाता है. इस पूरी प्रक्रिया के बाद कवच को तोड़कर मोती को बाहर निकाल लिया जाता है.

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

मोती की खेती करने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. बता दें कि सीप में जब एंटीबॉडी बनता है उस दौरान अगर वो खुल जाए तो उसे तालाब में नहीं रखा जाता है, क्योंकि वह सीप बेकार हो जाता है. इसके साथ ही किसान को ध्यान रखना होगी कि अगर वो मोती की खेती करने जा रहा है तो उसे टैंक में करीब 20 से 25 लीटर पानी की जरूरत होगी . ऐसी इसलिए क्योंकि एक सीप को करीब 3 लीटर पानी की जरूरत होती है.

अगर मछली पालन के साथ मोती की खेती की जाए तो किसानों को फायदा होता है क्योंकि किसानों की लागत में भी कमी आती है वहीं मछली के चारे से ही सीप को भी अपना भोजन मिल जाता है. बेहतर नतीजे के लिए जरूरी है कि टैंक या तालाब से समय-समय पर पानी जरूर निकाला जाए. अगर तालाब का पानी गंदा हो जाए तो 40 परसेंट पानी निकालकर उसमें नया पानी डाल दें. किसान जब भी सीप खरीदें तो इस बात का ध्यान रखें कि उसकी लंबाई कम से कम 6 सेंटीमीटर हो. साथ ही उसके ऊपर का चपटा हुआ भाग इंद्रधनुष की तरह दिखे.

मोती की खेती के लिए सही मौसम

मोती की खेती के लिए सही समय पानी के तापमान पर निर्भर करता है. जब भी पानी की तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच होत है तो सीप में मेंटल कोशिकाओं के जीवित रहने की दर में बढ़ोतरी होती है. इससे जल्दी से मोती की थैली का निर्माण होता है. इस हिसाब से जब भी पानी का तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच का हो वही समय मोती की खेती के लिए सबसे अनुकूल होता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%