योगी सरकार ने बंजर जमीन(सूखती जमीन), गिरते जलस्तर और सिंचाई की परेशानी से जूझते किसानों के लिए एक अहम और दूरगामी फैसला लिया है. गांवों में जल संरक्षण को लेकर जो वॉटरशेड कमेटियां बनी थीं, अब उनका नाम बदलकर ‘जलागम समिति’ (Jalagam Samiti) रखा जाएगा. इस बदलाव का मकसद सिर्फ नाम बदलना नहीं है, बल्कि इसे गांव की भाषा, पहचान और भावनाओं से जोड़ना है, ताकि लोग योजना को अपनाएं, समझें और उसमें सक्रिय भागीदारी निभाएं.
समिति का कमान ग्राम प्रधान के कंधो पर होगी
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के तहत इस जलागम समिति का गठन ग्राम पंचायत स्तर पर करने का फैसला लिया है. इस समिति का नेतृत्व खुद गांव के प्रधान करेंगे और इसमें ग्रामीणों की सीधी भागीदारी सुनिश्चित होगी. सरकार का मानना है कि जब जल संरक्षण का नेतृत्व गांव खुद करेगा तो जल संकट पर स्थायी समाधान निकलेगा.
जलागम समिति करेगी जलस्रोतों का विकास
जलागम समिति अब सरकारी दस्तावेजों और कामकाज में ‘वॉटरशेड कमेटी’ की जगह लेगी. जलागम समिति का उद्देश्य है कि बंजर जमीन को उपजाऊ बनाना, पानी के स्रोतों को पुनर्जीवित करना और हर खेत तक हर मौसम में पानी पहुंचाना. जलागम समितियों की मदद से गांवों में चेक डैम, जलाशय, तालाब जैसे जलस्रोत बनाए जाएंगे, ताकि बारिश का पानी इकट्ठा हो सके और खेतों को साल भर सिंचाई मिलती रहे.
जलागम समितियों से मजबूत होगा जल प्रबंधन
सरकार पहले ही हर खेत को पानी, पर ड्रॉप मोर क्रॉप और कैच द रेन जैसी योजनाओं के जरिए जल संरक्षण और सिंचाई व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रही है. अब ‘जलागम समिति’ के ज़रिए इन प्रयासों को और जमीनी स्तर पर मजबूती दी जाएगी. भूमि विकास और जल प्रबंधन के ये नए कदम आने वाले समय में न सिर्फ सूखी जमीन को उपजाऊ बनाएंगे, बल्कि प्रदेश की खेती और किसानों की तस्वीर भी बदल सकते हैं.
सरकार चाहती है कि जल संरक्षण और भूमि सुधार की योजनाएं तभी सफल होंगी जब गांव के लोग खुद इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लें. इसलिए जलागम समिति में पंचायत, सरकारी विभागों और गांव के लोगों की भागीदारी को जरूरी बनाया गया है.
आने वाले समय में सरकार के सभी पत्राचार, योजनाओं और रिकॉर्ड में वॉटरशेड कमेटी की जगह अब जलागम समिति लिखा जाएगा. इस बदलाव को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों को जरूरी बदलाव और निर्देश देने को कहा गया है, ताकि नई व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू हो सके.