हर साल हजारों किसान जीरे की खेती इसलिए करते हैं क्योंकि यह सबसे फायदेमंद नकदी फसलों में से एक मानी जाती है. लेकिन इस फसल को उगाना जितना लाभकारी होता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी. कभी मौसम की मार, कभी ठंड और पाले से फसल खराब हो जाती है, तो कभी तैयार होने में लगने वाला लंबा वक्त किसानों की परेशानी बढ़ा देता है. ऐसे में अब जीरे की खेती करने वाले किसानों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) के कृषि वैज्ञानिकों ने जीरे की एक खास किस्म CZC-94 को विकसित किया है. जो किसानों के लिए कम समय में ज्यादा फसल और बेहतर आमदनी का जरिया बन सकेंगे.
100 दिनों में तैयार फसल
अक्सर अक्टूबर में बोई गई जीरे की फसल को दिसंबर-जनवरी की सर्दियों में भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. किसान खेतों में दिन-रात मेहनत करते हैं, फिर भी नुकसान से नहीं बच पाते. लेकिन वैज्ञानिकों की इस नई किस्म से अब किसान दिसंबर में भी जीरा बो सकते हैं और 100 दिन में फसल काटे जा सकते हैं. जबकि पारंपरिक जीरे की फसल को तैयार होने में 140 से 150 दिन का समय लगता है. यानी अब किसान 100 दिन में ही जीरा फसल की बिक्री कर कमाई कर पा रहे हैं.
70 दिनों में नहीं सिर्फ 40 दिन में आएगा फूल
जीरा की CZC-94 किस्म की सबसे खास बात यह है कि इसमें फूल सिर्फ 40 दिन में आ जाते हैं, जबकि सामान्य किस्मों में इसके लिए 70 दिन का इंतजार करना पड़ता है. इससे फसल की बढ़त तेजी से होती है और कटाई भी जल्दी हो जाती है. इससे किसान जल्दी अगली फसल की तैयारी भी कर सकते हैं और फसल चक्र (Crop Rotation) में भी आसानी होती है.
लागत घटेगी, समय बचेगा
जीरा की CZC-94 किस्म कम समय में तैयार होने हो जाती है. यह किस्म उन किसानों के लिए खासतौर पर फायदेमंद है जो सिंचाई के सीमित संसाधनों के साथ खेती करते हैं. कम पानी, कम देखभाल और कम समय में बेहतर उत्पादन के लिए यह किस्म बेहद खास है. इस वजह से किसानों की लागत घट रही और समय बच रहा. जबकि, मुनाफा बढ़ने की वजह से किसानों को बीच यह किस्म काफी लोकप्रिय हो रही है.