किसानों की मेहनत अब केवल खेतों तक सीमित नहीं रही. गाय का गोबर और गोमूत्र, जो पहले बेकार समझे जाते थे, अब उनकी कमाई का नया रास्ता बन रहे हैं. जैविक खेती की बढ़ती मांग के बीच ये प्राकृतिक संसाधन मिट्टी को ताकत देने के साथ-साथ किसानों की जेब भी भर रहे हैं. कम लागत में ज्यादा मुनाफे का यह तरीका न सिर्फ खेती को सस्ता बनाता है, बल्कि रासायनिक खादों की महगी मार से भी छुटकारा दिलाता है.
गोबर और गोमूत्र का चमत्कार
किसानों के लिए अब खेती के साथ पशुपालन भी आय का मजबूत जरिया बन रहा है. गाय का गोबर और गोमूत्र जैविक खेती में क्रांति ला रहे हैं. उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में कृषि विभाग और वैज्ञानिक इनका उपयोग बढ़ावा दे रहे हैं. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और रासायनिक खाद व कीटनाशकों पर निर्भरता घटती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तरीका लागत कम कर मुनाफा बढ़ाने की कुंजी है.
बीज का अंकुरण और रोगमुक्ति
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि गोबर और गोमूत्र मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को जागृत करते हैं. एक लीटर देसी गाय का गोमूत्र 40 लीटर पानी में मिलाकर बीज को 4-6 घंटे भिगोने से अंकुरण तेज और रोगमुक्त होता है. वहीं गोबर से वर्मी-कम्पोस्ट बनाना किसानों के लिए सोने की खान है. एक गाय सालाना 4-5 टन गोबर देती है, जिससे 2-3 टन खाद तैयार हो सकती है. इसे 500-700 रुपये प्रति क्विंटल बेचकर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.
गोमूत्र से कीटनाशक तैयार करने की विधि
गोमूत्र से कीटनाशक बनाना भी आसान और किफायती है. इसे बनाने की दो विधियां है. तो चलिए जानते हैं कैसे इसे तैयार किया जाता है. सबसे पहले 10 लीटर गोमूत्र में 1 किलो तंबाकू की पत्तियां और 250 ग्राम नीला थोथा मिलाकर 20 दिन तक रखें. फिर 1 लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें. यह बालदार सूंडी जैसे कीटों से फसल बचाता है. इसके अलावा 10 लीटर गोमूत्र में 500 ग्राम लहसुन और 50 मिलीलीटर मिट्टी का तेल मिलाकर 24 घंटे बाद छान लें. यह रस चूसने वाले कीटों को रोकता है. ये तरीके सस्ते होने के साथ फसल को सुरक्षित रखते हैं.
किसानों के लिए मुनाफा
इसका मुनाफा भी शानदार है. गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादों से प्रति एकड़ 5,000-7,000 रुपये की बचत संभव है. सिक्किम के किसान गोमूत्र आधारित कीटनाशकों का इस्तेमाल कर फसल की गुणवत्ता बढ़ा रहे हैं. आईआईटी दिल्ली को गोमूत्र और पंचगव्य पर शोध के लिए 50 से ज्यादा प्रस्ताव मिले हैं, जो इसके वैज्ञानिक महत्व को रेखांकित करते हैं. सरकार भी जैविक खेती को बढ़ाने के लिए 19 सदस्यीय समिति के जरिए काम तेज कर रही है.