Fertilizer Stock: खरीफ सीजन में किसानों को खाद की जरूरत पूरी कराने में इफको और कृभको ने अहम भूमिका निभाई है. खरीफ सीजन में जरूरत के मुकाबले 50 लाख मीट्रिक टन अधिक खाद की उपलब्धता पक्की की है. जबकि, किसानों को 8 लाख मीट्रिक टन अधिक खाद बिक्री की गई है. वहीं, इफको और कृभको ने सरकार और रेलवे के साथ मिलकर खाद परिवहन और किसानों तक पहुंच को मजबूत किया.
उर्वरक विभाग (डीओएफ) ने समय पर योजना बनाकर और इफको तथा कृभको जैसी सहकारी संस्थाओं के साथ संयुक्त प्रयासों के माध्यम से उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति और वितरण को पक्का किया है. इससे भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई है और ग्रामीण आजीविका को सहारा मिला है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार विभाग ने 185.39 लाख मीट्रिक टन की अनुमानित मांग के मुकाबले 230.53 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) यूरिया की कुल उपलब्धता सुनिश्चित की, जो 193.20 लाख मीट्रिक टन की कुल बिक्री से अधिक है. यानी मांग के हिसाब से 45 लाख मीट्रिक टन अधिक उपलब्ध कराई और बिक्री के मामले में 8 लाख मीट्रिक टन अधिक खाद पहुंचाई है.
इफको ने पूरी क्षमता के साथ चलाए प्लांट
भारत के सहकारी उर्वरक इकोसिस्टम के दो स्तंभ इफको (भारतीय कृषक उर्वरक सहकारी लिमिटेड) और कृभको (कृषक भारती सहकारी लिमिटेड) मांग और आपूर्ति के बीच इस संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. दुनिया के सबसे बड़े सहकारी उर्वरक उत्पादकों में से एक इफको ने अपने प्लांट का संचालन लगभग पूरी क्षमता से किया और साथ ही राज्यों के बीच स्टॉक की समय पर आवाजाही पक्की की.
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कृभको ने सरकार के साथ मिलकर किसानों की जरूरत पूरी की
इसी तरह कृभको ने क्षेत्रीय मांगों को पूरा करने के लिए अपने उत्पादन और रसद कार्यों को तेज किया और आगामी रबी 2025-26 सीज़न के लिए एक मजबूत बफर बनाने के सरकार के मिशन को सपोर्ट किया. दोनों संगठनों ने किसान समितियों और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम किया ताकि यह पक्का किया जा सके कि यूरिया का हर बैग सही हाथों में पहुंचे, जिससे जमाखोरी या अन्यत्र उपयोग को रोका जा सके.
विदेश से खाद आयात दोगुना ज्यादा रहा
अप्रैल-अक्टूबर 2025 के दौरान उर्वरक आयात में तेजी दर्ज की गई, जब भारत ने पिछले वर्ष इसी अवधि में 24.76 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 58.62 लाख मीट्रिक टन एग्रीकल्चर ग्रेड यूरिया का आयात किया था. आयात में इस वृद्धि और लगभग 25 लाख मीट्रिक टन प्रति माह के औसत घरेलू उत्पादन ने सरकार को यूरिया का कुल स्टॉक 1 अक्टूबर के 48.64 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर महीने के अंत तक 68.85 लाख मीट्रिक टन करने में मदद की. जुलाई और अक्टूबर 2025 के बीच के महीनों में भी रिकॉर्ड हाई रेक मूवमेंट देखा गया, जो उर्वरक विभाग, भारतीय रेलवे और प्रमुख सहकारी समितियों के बीच कोऑर्डिनेशन को दर्शाता है.
सरकार यूरिया में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए घरेलू उत्पादन क्षमता को मजबूत कर रही है. असम के नामरूप और ओडिशा के तालचेर में 12.7 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष की उत्पादन क्षमता वाली दो आगामी परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. यूरिया उत्पादन बढ़ाने के कई नए प्रस्ताव भी विचाराधीन हैं, जिससे आयात पर निर्भरता और कम होगी.