खरीफ सीजन की दलहनी फसलों में से एक मुख्य फसल मूंग की भी है. मूंग की मांग देश में सालभर रहती है जिसके कारण भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है. मूंग खरीफ सीजन की ऐसी फसल है जो कम पानी में भी अच्छी उपज देती है. इसकी खासियत है कि मूंग की फसल में मौजूद प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट इसे लोकप्रिय बनाते हैं. इसकी खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है. खबर में आगे बात करेंगे कि क्या है मूंग की खेती करने का सही तरीका.
सही मिट्टी का चुनाव करें
मूंग की खेती के लिए 7 से 8 के बीच pH मान की अच्छी जल निकासी वाली हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सही होती है. इसकी खेती 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में की जाती है. खरीफ सीजन में मूंग की फसल की बुवाई जून के आखिरी हफ्ते से शुरू होकर जुलाई के पहले हफ्ते तक चलती है. बीजों को 30 से 4 सेमी की दूरी पर कतारों में बोना चाहिए और मिट्टी में करीब 3 से 4 सेमी गहराई में बोज डालने चाहिए.
बुवाई से पहले बीजों का उपचार करें
मूंग की फसल लगाने से पहले जरूरी है कि इसके बीजों का उपचार कर लिया जाए. बुवाई से पहले मूंग के बीजों का थायरम या कार्बेन्डाजिम से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचार करें. बता दें कि खरीफ सीजन में प्रति हेक्टेयर मूंग की खेती के लिए 12 से 15 किग्रा बीज की जरूरत होती है.
अच्छी उपज के लिए खाद है जरूरी
मूंग की फसल को सभी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलें इसके लिए बेहद जरूरी है कि फसल को सही खाद दी जाए, मूंग की फसल में हेक्टेयर की दर से 10 से 12 टन सड़े हुए गोबर की खाद, 20 से 25 किग्रा नाइट्रोजन, 40 से 50 किग्रा फॉस्फोरस और 15 से 20 किग्रा सल्फर डालें. बता दें कि फॉस्फोरस और सल्फर को बुवाई के समय जबकि नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और बाकी आधी फसल में फूल आने से पहले डालें.
मूंग की तुड़ाई की सही समय
मूंग की फसल बुवाई के लगभग 65 से 70 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. किसानों को ध्यान रखना होगा कि जब मूंग की फलियों का रंग हल्के भूरे से काला होने लगे तब फसल की तुड़ाई करें. फलियों की तुड़ाई 2 से 3 बार में करनी चाहिए ताकि फसल में लगी सभी फलियां पूरा तरह से पक जाएं.