खेती में मचान विधि का क्या है इस्तेमाल, क्यों सब्जी फसलों के लिए बताई गई रामबाण तकनीक

मचान विधि एक आधुनिक तकनीक है जिसमें बेल वाली फसलों को जमीन पर फैलने के बजाय ऊपर चढ़ाने के लिए एक जाल या फ्रेम का सहारा दिया जाता है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 12 May, 2025 | 06:07 PM

आज के समय में खेती में तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, और किसान भी पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ नई-नई तकनीकों को अपनाकर ज्यादा उपज और बेहतर मुनाफा कमाने में जुटे हैं. इन्हीं आधुनिक तकनीकों में से एक है मचान विधि, जिसे अब सब्जी फसलों के लिए रामबाण तकनीक माना जा रहा है. खासकर बेल वाली फसलों जैसे लौकी, तोरई, करेला, खीरा, सेम तरबूज और कद्दू आदि के लिए यह तरीका बेहद कारगर साबित हो रहा है. गर्मी और बरसात के मौसम में जब इन फसलों की मांग बढ़ जाती है, ऐसे समय में मचान विधि से खेती कर किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं.

पौधों के फैलाव में अहम मचान विधि

मचान विधि में पौधों को जमीन पर फैलने के बजाय ऊपर चढ़ाने के लिए एक जाल या फ्रेम का सहारा दिया जाता है. यह फ्रेम बांस, लकड़ी के डंडों, लोहे की पाइपों या मजबूत रस्सियों से तैयार किया जाता है, जो आमतौर पर 5 से 7 फीट ऊंचा होता है. वहीं ऊपर से प्लास्टिक का मजबूत जाल या तार बिछाया जाता है, जिस पर बेलों को चढ़ाया जाता हैं. जिस कारण फल कम सड़ते हैं और कीड़े या रोग से भी दूर रहते हैं.

मचान विधि के फायदे

मचान विधि के कई फायदे हैं. जिनमें में सबसे पहला यह है कि पौधे जमीन से ऊपर रहते हैं, जिस कारण उन्हें हवा और धूप अच्छी मिलती है जिसे उनका विकास बेहतर होता है. दूसरा, फलों पर कीटों और रोगों का असर कम होता है क्योंकि वह मिट्टी के संपर्क में नहीं रहते हैं. तीसरा, फलों की गुणवत्ता बेहतर के साथ पौधे अच्छे से बढ़ते हैं और उपज भी अच्छी होती हैं.

मचान विधि का तरीका

मचान विधि से खेती करने के लिए सबसे पहले समतल, धूप वाली जमीन चुनें और खेत अच्छी तरह जोतकर समतल कर क्यारी बनाएं. फिर 6 से 8 फीट की दूरी पर खंभे गाड़ें और उनके ऊपर मजबूत रस्सी या तार बांधें. इस पर प्लास्टिक का जाल फैलाएं और कसकर बांध दें. बात करें बीज बुवाई या पौध रोपण की तो इसके लिए आप बीजों क बीज सीधे मिट्टी में या नर्सरी से तैयार पौधे लगा सकते हैं.

पौधों को सहारा देने की जरूरत

मचान विधि के तहत पौधों को जाल पर चढ़ाने के लिए समय-समय पर सहारा दें. साथ ही पौधे की देखभाल के लिए नियमित रूप से पानी दें. बात करें खाद और कीटनाशक की तो इन्हें जरूरत के अनुसार ही इस्तेमाल करें. साथ ही मचान की मजबूती का भी ध्यान रखें.

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Published: 12 May, 2025 | 05:57 PM

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