तमिलनाडु के मदुरै जिले में आम किसानों को इस बार उचित दाम नहीं मिल रहा है. 4 रुपये किलो मंडी रेट होने के चलते उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है, जबकि, इस बार अच्छी पैदावार हुई है. ऐसे में किसान अब सरकार से उचित दाम पर खरीद और मुआवजे की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि अब केवल मुआवजा ही नुकसान से बचा सकता है.
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, मेलूर के पास केसामपट्टी गांव के किसान जीव ने कहा कि पिछले कुछ सालों में उत्पादन कम था, लेकिन इस साल फसल अच्छी हुई है. इसके बावजूद किसानों को फायदा नहीं मिल रहा, क्योंकि खरीददारी की कोई तय और नियमित व्यवस्था नहीं है. किसान जीव ने कहा कि मेरे पास तीन एकड़ जमीन में करीब 100 आम के पेड़ हैं और इस साल 25 टन तक उत्पादन हुआ है. अगर सही व्यवस्था होती, तो इससे अच्छा मुनाफा मिल सकता था.
मंडी में 4 रुपये किलो बिक रहा हा आम
किसान ने कहा कि इस साल व्यापारी आम खरीदने के लिए सिर्फ 4 रुपये प्रति किलो देने को तैयार हैं, जबकि पिछले साल यही दाम 25 रुपये प्रति किलो था. ऐसे में कीमतों में इतनी बड़ी गिरावट से किसान भारी संकट में आ गए हैं. उन्होंने कहा कि हमें सुनने में आया है कि जो बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां आम की खास किस्म ‘किझीमूकु’ को जूस और अन्य उत्पादों के लिए खरीदती थीं. उन्होंने इस बार खरीद से मना कर दिया है. इसी वजह से व्यापारी भी अच्छे दाम देने से इनकार कर रहे हैं.
नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की भी मांग
जीव ने कॉरपोरेट्स पर निर्भरता का विरोध करते हुए कहा कि जब पूरा बाजार इन बड़ी कंपनियों पर निर्भर हो जाएगा, तो वही दाम तय करेंगे और अपने हिसाब से बाजार को चलाएंगे. तमिलनाडु किसान संघ ने राज्य सरकार से मांग की है कि आम के लिए तुरंत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया जाए, ताकि किसानों का शोषण न हो और उन्हें उनकी फसल का सही मूल्य मिल सके. इसके अलावा, किसानों ने दाम गिरने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की भी मांग की है.
किसानों ने की MSP तय करने की मांग
मदुरै जिले के कृषि अधिकारियों ने आम की कीमत गिरने का कारण इस बार फसल का अधिक उत्पादन बताया है. उन्होंने कहा कि इस साल मौसम आम की खेती के लिए अनुकूल रहा, जिससे पैदावार अच्छी हुई, लेकिन अधिक आपूर्ति के कारण बाजार में मांग घट गई और दाम गिर गए. हालांकि अधिकारियों ने यह भी कहा कि किसानों की मुआवजे और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने की मांगों पर विचार कर सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके.