उत्तर प्रदेश के आसपास के इलाकों में इन दिनों तालाबों में सिंघाड़े की खेती खूब तेजी से की जा रही है. किसान इस जल फसल को उगाकर लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं. राज्य सरकार भी किसानों को सिंघाड़े की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ताकि उन्हें आर्थिक मजबूती मिल सके और आत्मनिर्भर बनाया जा सके. इस खेती की खासियत यह है कि इसमें कम लागत आती है और मुनाफा कई गुना ज्यादा मिलता है.
मॉनसून से शुरू होती है तैयारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सिंघाड़े की खेती बारिश के मौसम से जुड़ी हुई है. जैसे ही मॉनसून की पहली बारिश होती है, किसान तालाबों को खेती के लिए तैयार करने लगते हैं. अगस्त महीने में सिंघाड़े के पौधों की रोपाई की जाती है. इसके लिए तालाब में लगभग 1 से 2 फीट गहरा पानी होना जरूरी है. इस फसल को बढ़ने और पकने में करीब 5 से 6 महीने का समय लगता है. पानी में पनपने वाली यह फसल गांवों के तालाबों में आसानी से उगाई जा सकती है.
ग्राम समाज की जमीन पर खेती
किसान ज्यादातर सिंघाड़े की खेती ग्राम समाज की जमीन पर बने तालाबों में करते हैं. ऐसे तालाब बारिश का पानी रोकने के लिए बने रहते हैं और वही किसानों के लिए खेती का साधन बन जाते हैं. इसमें किसी विशेष संरचना की जरूरत नहीं पड़ती, सिर्फ साफ पानी होना जरूरी है. इसी कारण छोटे किसान भी इसे अपनाकर अपनी आय बढ़ा रहे हैं.
लाखों का मुनाफा और बढ़ती मांग
कृषि अनुसंधान विभाग के अनुसार, एक एकड़ तालाब में सिंघाड़े की खेती करने पर किसानों को करीब 2 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा मिल जाता है. खासकर अक्टूबर और नवंबर के महीनों में बाजार में सिंघाड़े की मांग तेजी से बढ़ जाती है. उस समय इसका दाम 60 से 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाता है. यही वजह है कि किसान इसे बड़ी संख्या में उगाने लगे हैं.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए वरदान
तालाबों में सिंघाड़े की खेती ग्रामीण किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. यह खेती गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद कर रही है. किसान न केवल अपने परिवार की जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं, बल्कि अतिरिक्त आय भी कमा रहे हैं. सरकार भी इस फसल को बढ़ावा देकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है.
किसानों की बढ़ रही रुचि
कम लागत और अच्छा मुनाफा मिलने की वजह से किसान तेजी से इस खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. जहां पहले तालाबों का उपयोग सिर्फ पानी जमा करने के लिए होता था, वहीं अब वही तालाब किसानों की आमदनी का साधन बन चुके हैं. यह खेती भविष्य में किसानों के लिए एक मजबूत विकल्प बन सकती है.