अगस्त में करें सिंघाड़े की रोपाई, सही तरीका अपनाकर पाएं ज्यादा पैदावार और मुनाफा

सिंघाड़े की खेती मॉनसून में तालाबों में की जाती है. अगस्त सबसे अच्छा समय है रोपाई का. कम लागत में अच्छा मुनाफा संभव है, बशर्ते सही किस्म और तकनीक अपनाई जाए.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 16 Aug, 2025 | 12:51 PM

भारत में खेती किसानी एक परंपरा ही नहीं, बल्कि आजीविका का सबसे बड़ा साधन है. किसान अब परंपरागत फसलों के साथ-साथ नई फसलों की तरफ भी रुख कर रहे हैं, ताकि कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के किसान भी अब सिंघाड़े की खेती को अपनाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. तालाबों में की जाने वाली यह फसल, मॉनसून शुरू होते ही बोई जाती है और 5-6 महीने में तैयार हो जाती है. सही समय पर रोपाई और वैज्ञानिक तरीके अपनाकर किसान लाखों कमा रहे हैं.

अगस्त से होती है सिंघाड़े की रोपाई, पानी हो 1-2 फीट गहरा

सिंघाड़ा यानी Water Chestnut, एक जलीय फसल है, जिसे मॉनसून के समय तालाबों में उगाया जाता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसर, लखीमपुर खीरी के किसान बताते हैं कि अगस्त महीना इसकी रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय है. तालाब में लगभग 1 से 2 फीट पानी होना जरूरी है ताकि पौधों को बढ़ने में दिक्कत न हो. सिंघाड़े की फसल तैयार होने में करीब 5 से 6 महीने लगते हैं. अक्टूबर-नवंबर में इसकी तुड़ाई शुरू होती है.

सिंघाड़े की प्रमुख किस्में, जिनसे होता है अच्छा उत्पादन

एक्सपर्ट के मुताबिक, सिंघाड़े की कई किस्में बाजार में मौजूद हैं, लेकिन सबसे ज्यादा बोई जाने वाली किस्में हैं-

  • लाल चिकनी गुलरी
  • लाल गठुआ
  • हरीरा गठुआ
  • कटीला
  • करिया हरीरा (इसमें तुड़ाई थोड़ा देर से होती है)

इनमें से अधिकतर किस्मों की पहली तुड़ाई रोपाई के 120-130 दिन बाद होती है, जबकि करिया हरीरा में यह 150 दिन में होती है.

रोपाई की सही विधि अपनाएं, पैदावार और मुनाफा दोनों बढ़ाएं

एक किसान, जो पिछले 5 वर्षों से सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं, बताते हैं कि एक एकड़ के तालाब से वे 2 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा लेते हैं. उन्होंने बताया कि सबसे पहले बीज को पानी में भिगोकर अंकुरित करना चाहिए. इसके बाद जब बीज अंकुरित हो जाएं, तो तालाब में 2-3 पौधों को एक साथ रोपें. पौधों के बीच की दूरी 1 से 2 फीट रखें ताकि उन्हें फैलने और बढ़ने में आसानी हो. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बाजार में इसकी मांग अधिक होती है और अक्टूबर-नवंबर में इसका भाव 60 रुपये से 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाता है.

कम लागत, ज्यादा मुनाफा

सिंघाड़े की खेती न केवल कम लागत वाली है, बल्कि इसकी संभाल भी तुलनात्मक रूप से आसान है. तालाब एक बार तैयार हो जाए तो हर साल उसी में सिंघाड़े की खेती की जा सकती है. किसान इसे धान, मक्का या अन्य परंपरागत फसलों की तुलना में कहीं ज्यादा फायदेमंद मानते हैं. एक्सपर्ट की सलाह है कि जो युवा खेती में नई संभावनाएं तलाश रहे हैं, वे सिंघाड़े की खेती को अपनाकर रोजगार का एक मजबूत जरिया बना सकते हैं.

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Published: 16 Aug, 2025 | 12:41 PM

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