केंद्र ने सेब का आयात मूल्य बढ़ाकर किया 80 रुपये प्रति किलो, जानिए क्यों लिया गया ये बड़ा फैसला

हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में लाखों किसान सेब की खेती पर निर्भर हैं. इस समय फसल का मौसम भी चल रहा है. ऐसे में सरकार का यह फैसला इन राज्यों के लिए एक समय पर आई राहत की तरह है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 4 Jul, 2025 | 04:58 PM

अगर आप सेब उगाने वाले किसान हैं तो ये खबर आपके चेहरे पर मुस्कान जरूर ला सकती है. केंद्र सरकार ने देश के सेब किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने अब विदेशों से आने वाले सेब पर न्यूनतम आयात मूल्य (Minimum Import Price – MIP) को 50 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 80 रुपये प्रति किलो कर दिया है. इसका सीधा फायदा देश के सेब किसानों को होगा, खासकर हिमाचल, कश्मीर और उत्तराखंड जैसे सेब उत्पादक राज्यों के किसानों को.

क्यों लिया गया यह फैसला?

बीते कुछ सालों में विदेशों से सस्ते सेब के आयात ने भारतीय किसानों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. ईरान और तुर्की जैसे देशों से आने वाले कम कीमत के सेब भारतीय बाजार में भर गए थे, जिससे देश के किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहे थे. किसानों की लागत बढ़ रही थी और मुनाफा लगातार घट रहा था. ऐसे में अब जब सरकार ने MIP को 80 रुपये किलो किया है, तो इससे आयातित सेब की कीमतें ऊंची होंगी और घरेलू किसानों को बाजार में बेहतर मौका मिलेगा.

कौन तय करता है MIP?

MIP यानी न्यूनतम आयात मूल्य वह दर होती है जिससे कम पर विदेश से फल या अनाज भारत में नहीं आ सकते. इसे केंद्र सरकार अपने व्यापार और किसानों की स्थिति को देखकर तय करती है. यह नीति विदेशी माल के सस्ते आयात को रोकने के लिए एक ढाल का काम करती है.

किसानों को मिलेगा फायदा

सेब किसानों का कहना है कि सस्ते आयात की वजह से उनके सेब स्टॉक में ही रह जाते थे या उन्हें औने-पौने दामों में बेचना पड़ता था. नई नीति से अब बाहर से आने वाले सेब महंगे होंगे, जिससे भारतीय सेब की मांग फिर से बढ़ेगी. किसानों को बेहतर कीमत मिलेगी और बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धा मजबूत होगी.

हिमाचल और कश्मीर के लिए राहत की खबर

हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में लाखों किसान सेब की खेती पर निर्भर हैं. इस समय फसल का मौसम भी चल रहा है. ऐसे में सरकार का यह फैसला इन राज्यों के लिए एक समय पर आई राहत की तरह है. स्थानीय बाजारों में अब घरेलू सेब की बिक्री और भाव दोनों बेहतर होने की उम्मीद है.

सेब किसानों ने जताया आभार

सेब उत्पादक संगठनों और किसान यूनियनों ने इस फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि लंबे समय से वे सरकार से MIP बढ़ाने की मांग कर रहे थे, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत का सेब सस्ता सेबों के आगे कमजोर पड़ रहा था. अब उन्हें विश्वास है कि इस बार उन्हें मेहनत का सही मोल मिलेगा.

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Published: 4 Jul, 2025 | 04:48 PM

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